उत्तर प्रदेश: दूसरे चरण के लिए 14 फरवरी को मतदान, इन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर

उत्तर प्रदेश: दूसरे चरण के लिए 14 फरवरी को मतदान, इन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा के दूसरे चरण के चुनाव के लिए आज प्रचार का अंतिम दिन होने के कारण सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत प्रचार में झौंकी।

दूसरे चरण के तहत वेस्‍ट यूपी के 9 ज‍िलों की 55 सीटों पर 14 फरवरी को मतदान होना है। दूसरे चरण के चुनाव में 55 विधानसभा सीटों पर 586 उम्मीदवार मैदान में हैं।

दूसरे चरण में जिन 9 जिलों की विधानसभा सीटों पर मतदान होगा उनमे सहारनपुर, बिजनोर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, बदायूं और शाहजहांपुर शाम‍िल है।

पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 55 में से 38 सीटें जीती थीं, वहीँ समाजवादी पार्टी ने 16 और कांग्रेस ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि इस बार माहौल बदला हुआ है। पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी का कांग्रेस से गठबंधन था वहीँ इस बार समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल सहित कुछ क्षेत्रीय दलों से गठबंधन किया है।

पहले चरण के चुनाव की तरह दूसरे चरण में भी बीजेपी के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। शाहजहाँपुर विधानसभा सीट पर योगी सरकार में कैब‍िनेट मंत्री और 8 बार के विधायक सुरेश खन्‍ना, चंदौसी विधानसभा सीट पर योगी सरकार में राज्यमंत्री गुलाब देवी, वहीँ रामपुर सदर सीट पर उत्तर प्रदेश के पूर्व केबिनेट मंत्री और सपा के कद्दावर नेता आज़म खान जेल से चुनाव लड़ रहे हैं।

दूसरे चरण में जिन विधानसभा की जिन 55 सीटों पर चुनाव होना है उनमे से 40 सीटों पर 30 से 55 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं। माना जाता है कि करीब 40 सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। बीजेपी की सबसे बड़ी टेंशन किसानो की नाराज़गी के अलावा जाट, गुजर और मुस्लिम मतदाता हैं जो कहीं न कहीं बीजेपी से नाराज़ हैं।

पहले चरण के चुनाव में यह साफ़ हो चुका है कि पिछले चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को बढ़त दिलाने वाले जाट और गुजर मतदाताओं का रुझान इस बार सपा-रालोद गठबंधन की तरफ है। वहीँ मुस्लिम मतदाताओं से बीजेपी को कोई उम्मीद नहीं है। ऐसे में दूसरे चरण का चुनाव बीजेपी के लिए बड़ी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है।

बीजेपी के समक्ष न सिर्फ पिछले चुनाव वाला प्रदर्शन फिर से दोहराने की है बल्कि उसके सामने सत्ता तक पहुंचने लायक बहुमत जुटाना भी एक बड़ी चुनौती है। फिलहाल देखना है कि दूसरे चरण के चुनाव में मतदाताओं का रुझान किस तरफ रहता है।

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TeamDigital