गांव में पोषण की अलख जगा रहीं उषा

वैशाली। उषा की किरणें जिस तरह रात के अंधियारे को दूर करती हैं, ठीक उसी तरह जंदाहा प्रखंड के वार्ड नम्बर 13, पश्चिमी हसनपुर आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 66 की सेविका उषा कुमारी ने अपने पोषण क्षेत्र से कुपोषण रूपी अंधकार को दूर किया है। उषा ने जो अपने पोषक क्षेत्र में कार्य किए हैं, उसको एक दायरे में नहीं बांधा जा सकता। यही वजह है कि इनके कार्य की सराहना क्षेत्र में होती रहती है.
रण-नीति बनाकर प्रत्येक घर का किया दौरा:
उषा कहती है, समय के साथ उनके पोषक क्षेत्र में पोषण पर लोगों में जागरूकता बढ़ी है. एक दौर था जब उनके क्षेत्र में अति-कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक थी. इसे देखते हुए उन्होंने अपने क्षेत्र के प्रत्येक घरों का दौरा करने की योजना पर अमल करना शुरू किया. इसके लिए उन्होंने अपने वार्ड नम्बर 13 के अलावा 14 और 15 में भी सर्वे की ताकि कुपोषण के सही कारणों का पता चल सके.
पोषण के बारे में किया जागरुक :
उषा ने बताया जब उन्होंने अपने पोषक क्षेत्र में काम करना शुरु किया तो कई तरह की उन्हें चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा. पहली चुनौती तो यह थी कि लोग पोषण की जानकारी पर अमल करने को तैयार नहीं थे. वहीं दूसरी चुनौती थी कि लोग अपने बच्चे को आंगनबाड़ी केंद्र पर भेजने को तैयार भी नहीं होते थे.
उन्होंने बताया इसके लिए उन्होंने अपने क्षेत्र में शिक्षा की जरूरत पर जागरूकता बढ़ाना शुरू किया. उन्होंने तीन साल से 6 साल तक के बच्चों के पोषण के साथ शिक्षा पर भी ध्यान दिया। जब वही बच्चे घरों में अपने शब्द ज्ञान को लोगों को बताते थे तो उनके अभिभावकों को बड़ी खुशी होती थी। वह कहती हैं अब उनके लम्बे प्रयास का असर दिखने लगा है.
अब उनके आंगनबाड़ी केंद्र पर दृश्य यह है कि अभिभावक अपने बच्चों को लेकर 9 बजे केंद्र खुलने का इंतजार करते हैं। अभी केंद्र में कुल 40 बच्चों का नामांकन है। उन्होंने लोगों को सकारत्मक संदेश देने के लिए अपने 3 साल के बच्चे का नामांकण भी इसी आंगनबाड़ी केंद्र में कराया था।
हर दिन का है अलग मैन्यू :
उषा ने बताया उनके आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों के संपूर्ण पोषण का ध्यान रखा जाता है। बच्चों को मध्याहन भोजन में हर दिन अलग मैन्यू के तरह खाना दिया जाता है. बच्चे भी इससे खुश रहते हैं। यहां हलवा से लेकर पुलाव और अंडा भी बच्चों की थाली में होते हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने लाभार्थी के घर पर ही अन्नप्राशन और गोदभराई को जारी रखने का प्रयास भी किया. उन्होंने लॉकडाउन के दौरान जून माह तक नामांकित बच्चों के अभिभावकों के बीच टेक होम राशन का वितरण सुनिश्चित कराया.
एक भी बच्चा अतिकुपोषित नहीं:
उषा कहती हैं उनके क्षेत्र में एक भी बच्चा अभी अतिकुपोषित नहीं हैं। एक बच्चे को कुछ दिन पहले ही पोषण पुर्नवास केंद्र में भेजा था, जो अब कुपोषण के दायरे से बाहर है।
लॉकडाउन के दौरान वीडियो कॉल से जाना हाल :
लॉकडाउन के दौरान गृह भ्रमण भी प्रभावित हुआ था. इसलिए ऊषा ने अपने आंगनबाड़ी केंद्र में नामांकित बच्चों के हर अभिभावक के मोबाइल नंबर पर लॉकडाउन के दौरान संवाद स्थापित करती रही एवं उनका हाल-चाल लेती रही. साथ ही गर्भवती, धात्री एवं शिशुओं की पोषण संबधी सलाह भी वीडियो कॉल के जरिए देने का कार्य किया. ऊषा ने बताया ऐसा करने से वह लोगों की संपर्क में रही एवं तथा नये गर्भवती महिलाओं की जानकारी भी उन्हें प्राप्त हो सकी. अभी उनके पोषक क्षेत्र में 10 गर्भवती, 9 प्रसूती तथा तीन से छह माह के 80 बच्चे हैं एवं वह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करा टीकाकरण के सत्र का आयोजन भी करा रही हैं.