भारत दौरे से पहले ट्रंप ने दिया भारत को बड़ा झटका

भारत दौरे से पहले ट्रंप ने दिया भारत को बड़ा झटका

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत आगमन से पहले अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि(यूएसटीआर) ने बड़ा झटका देते हुए कारोबार के लिहाज से भारत को ‘विकासशील देशों’ की सूची से बाहर कर दिया है। अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले से भारत के निर्यात पर बड़ा असर पड़ने की संभावना है।

जानकारों की माने तो अमेरिकी प्रशासन के इस कदम से भारत अब उन खास देशों में नहीं रहेगा, जिनके निर्यात को इस जांच से छूट मिलती है क‍ि वे अनुचित सब्स‍िडी वाले निर्यात से अमेरिकी उद्योग को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहे। अमेरिकी प्रशासन ने इस सूची से ब्राजील, इंडोनेश‍िया, हांगकांग, दक्ष‍िण अफ्रीका और अर्जेंटीना को भी इस सूची से बाहर कर दिया है।

अमेरिकी प्रशासन ने अपने इस फैसले के पीछे तर्क दिया है कि यह लिस्ट 1998 में बन गई थी और अब अप्रासंगिक हो चुकी है। अमेरिका का कहना है कि भारत अब G-20 का सदस्य बन चुका है और दुनिया के व्यापार में इसका हिस्सा 0.5 फीसदी से ज्यादा हो चुका है। जबकि भारत अमेरिका से ट्रेड डील करने और उसके तरजीही फायदों वाले जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंस (GSP) में फिर से शामिल होने की कोश‍िश कर रहा है।

भारत को विकासशील देशो की सूची से बाहर रहे जाने के बाद अब जीएसपी में शामिल होने की भारत की राह काफी कठिन हो गई है। यूएसटीआर ने कहा कि जिन देशों का विश्व व्यापार में 0.5 फीसदी या उससे ज्यादा हिस्सा होता है, उसे हम सीवीडी कानून के हिसाब से विकसित देश की श्रेणी में रखते हैं।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 और 25 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत की राजकीय यात्रा पर आ रहे हैं। बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री ने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा एक “बहुत ही विशेष” होगी और यह भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की दोस्ती को आगे बढ़ाने में एक लंबा रास्ता तय करेगी।

अमेरिकी सीनेटरों ने उठाया कश्मीर और सीएए का मुद्दा:

वहीँ दूसरी तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा से पहले, अमेरिका के चार प्रभावशाली सीनेटरों, ने कश्मीर मुद्दे को उठाया है। उनका कहना है कि वे “भारत के लंबे समय से दोस्त” हैं और इसलिए चाहते हैं कि कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति और देश में धार्मिक स्वतंत्रता का आकलन हो। उनका कहना है कि सैकड़ों कश्मीरी “नजरबंदी” में जी रहे हैं।

राज्य सचिव माइक पोम्पिओ को लिखे अपने पत्र में, वान हॉलन, टॉड यंग, रिचर्ड जे डर्बिन और लिंडसे ओ ग्राहम ने कहा, भारत ने चिकित्सा देखभाल, व्यवसाय और शिक्षा तक पहुंच का माध्यम इंटरनेट लंबे समय से बंद रखा हुआ है। जिससे सामान्य लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त है।

पत्र में आगे लिखा है, इसके अलावा, भारत सरकार ने दूसरे भी ऐसे कई कदम उठाए हैं जो परेशान करने वाले हैं। वहां अल्पसंख्यक और राज्य के धर्मनिरपेक्ष अधिकार खतरे में हैं। इसमें विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित होना भी शामिल है।

सीनेटरों ने पॉम्पिओ से अनुरोध किया कि वे राज्य के कई विभागों के आकलन के लिए भारत में राजनीतिक उद्देश्यों और सरकार द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या, जम्मू और कश्मीर में संचार पर वर्तमान प्रतिबंध, जम्मू और कश्मीर तक पहुंचने की वर्तमान स्थिति और जम्मू और कश्मीर में धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध को बातचीत के मुद्दों में शामिल करें।

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TeamDigital