सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालो पर यूएई सख्त, रखी जा रही कड़ी नज़र

सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालो पर यूएई सख्त, रखी जा रही कड़ी नज़र

नई दिल्ली। निजामुद्दीन मर्कज़ मामले के प्रकाश में आने के बाद सोशल मीडिया साइट्स पर कोरोना संक्रमण के लिए तब्लीगी जमात और मुसलमानो को निशाना बनाये जाने वालो के खिलाफ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने सख्त रुख दिखाया है।

हाल ही में दुबई में काम करने वाले कुछ भारतीयों द्वारा सोशल मीडिया पर इस्लाम के खिलाफ टिप्पणियां करने के लिए यूएई सरकार ने उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखाया है। समाज में घृणा पैदा करने वालो के खिलाफ यूएई में जीरो टॉलरेंस की नीति है।

दुबई की कंपनियों में काम करने वाले भारतीय मूल के कर्मचारियों द्वारा तब्लीगी जमात और मुसलमानो के खिलाफ अभद्र कमेंट और पोस्ट किये जाने के मामले प्रकाश में आने के बाद कई कंपनियों ने भारतीय मूल के उक्त कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से नौकरी से हटाकर उनको वापस जाने का फरमान सुनाया है। एक अन्य ट्वीट में भारतीय मूल के लोगों ने अपने कमेंट में दावा किया कि दुबई और कनाडा जैसे शहर को भी हिंदुओं ने बनाया था। इस ट्वीट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

अभी हाल ही में दुबई में एक भारतीय ने तबलीगी जमात से जुड़े मामले का संदर्भ लेते हुए मुसलमानों के बारे में आपत्तिजनक ट्वीट किया तो संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भारत के राजदूत पवन कपूर ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत में भेदभाव की कोई जगह नहीं और यह यूएई में रहने वाले भारतीयों को भी समझना होगा।

उन्होंने पीएमओ के ट्वीट को भी रीट्वीट किया. पीएमओ ने ट्वीट किया था, ‘कोविड19 किसी धर्म, जाति, संप्रदाय, रंग, भाषा और सीमा को नहीं देखता। हमारी प्रतिक्रिया और व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि जो एकता और भाइचारे को बढ़ाए. हम इसमें एकजुट हैं।’

वहीँ अभी हाल ही में भारत में कोरोना वायरस संकट के लिए तबलीगी जमात के लोगों और मुसलमानो को जिम्‍मेदार बताने वाले ट्वीट के पर अरब और कनाडा में रहने वाले कई भारतीयों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया थी।

वहीँ भारतीय मूल के कामगारों द्वारा मुसलमानो और इस्लाम को निशाना बनाने वाले ट्वीट के खिलाफ 57 मुस्लिम देशों के संगठन के इंडिपेंडेंट परमानेंट ह्यूमन राइट्स कमीशन (IPHRC) ने भी आपत्ति जाहिर की है।

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TeamDigital