क्राइम ब्रांच से मिले नोटिस पर मौलाना साद ने भेजा ये जवाब

नई दिल्ली। देशभर में लॉकडाउन के दौरान दिल्ली के निजामुद्दीन मर्कज़ में तब्लीगी जमात का धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने के आरोपी मौलाना साद ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा से मिले नोटिस का जबाव भेज दिया है।
दिल्ली पुलिस की तरफ से भेजे गए नोटिस में मौलाना साद से 26 सवाल किये गए हैं। इन सवालो में मौलाना साद पर मर्कज़ में मौजूद लोगों की जानकारी जानबूझ कर छिपाने के आरोप का सवाल भी शामिल है।
दिल्ली पुलिस के नोटिस के जबाव में मौलाना साद ने फिलहाल अपने संक्षिप्त जबाव में इतना ही कहा है कि वे अभी सेल्फ क्वारंटीन में हैं और अभी मरकज बंद है। इसलिए जब मरकज खुलेगा तब बाकी सवालों के जवाब देंगे।
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान निजामुद्दीन मर्कज़ में धार्मिक कार्यक्रम और पाबंदियों के बावजूद भीड़ जमा करने के मामले में मौलाना साद सहित 6 लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। यह मुकदमा निजामुद्दीन थाने में दर्ज किया गया है। इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है।
वहीँ निजामुद्दीन मर्कज़ में रुके लोगों को कोरोना जांच के लिए दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों में आइसोलेशन में रखा गया है और निजामुद्दीन मर्कज़ को सील कर दिया गया है। पुलिस का दावा है कि मौलाना साद फरार हैं। वहीँ मर्कज़ के वकील का कहना है कि मौलाना साद अपने घर पर ही सेल्फ क्वारंटीन में हैं।
पढ़िए- कैसे शुरू हुई तब्लीगी जमात और कौन हैं मौलाना साद:
मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मोहम्मद साद वल्द मौलाना हारुन है। वह उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कांधला का निवासी है। देवबंदी विचारधारा से प्रेरित होकर धर्म की रहनुमाई के लिए तब्लीगी जमात की बुनियाद पड़ी थी।
उत्तर प्रदेश के कांधला, जिला शामली के मोहम्मद इस्माइल के घर जन्मे मौलाना इलियास कांधलवी ने देवबंदी विचारधारा से प्रेरित होकर सन 1927 में तब्लीगी जमात की स्थापना इसलिए की थी कि दीन से भटके लोगों को कुरान और हदीस के हवाले से इस्लाम के सच्चे रास्ते पर लाया जा सके।
मौलाना इलियास कांधलवी के इंतकाल के बाद उनके बेटे मौलाना यूसुफ तब्लीगी जमात के अमीर बने थे। मौलाना यूसुफ के बाद जमात की अमीरीयत उनके नूर-ए-चश्म मौलाना हारुन को मिलनी थी, लेकिन उनका बेवक्त इंतकाल हो गया। ऐसे में मौलाना इलियास कांधलवी के भांजे मौलाना इनाम उल हसन को तब्लीगी जमात की बागडोर सौंपी गई। बाद में उनके बेटे मौलाना जुबैरउल हसन अमीर बने।
यहीं से तब्लीगी जमात का सिरमौर बनने का असली द्वंद्व शुरू हुआ। मौलाना इनाम उल हसन ने जमात के संचालन के लिए दस सदस्यीय शूरा कमेटी गठित की थी। सन 1995 में मौलाना इनाम उल असन का भी इंतकाल हो गया। लेकिन उनके द्वारा गठित शूरा कमेटी काम करती रही।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रायविड मरकज के मौलाना मोहम्मद अब्दुल वहाब की बनाई 13 सदस्यीय शूरा से अलग संस्थापक मौलाना इलियास के पड़पौते मौलाना साद को वर्ष 2015 में तब्लीगी जमात का अमीर घोषित किया गया।
कांधला की मिट्टी में मौलाना इलियास और मौलाना इफ्तखारुल हसन सरीखे इस्लामिक विद्वानों की पैदाइश हुई। ये सादगी पसंद और दीन से जुड़े लोग थे। तब्लीगी जमात के मौलाना साद के दादा मौलाना इलियास का पुश्तैनी घर आज भी यहां है जो बिलकुल सामान्य घरो जैसा ही है।