महाराष्ट्र मामला पहुंचा सुप्रीमकोर्ट, सभी पक्षों को नोटिस जारी, सोमवार को होगी सुनवाई

महाराष्ट्र मामला पहुंचा सुप्रीमकोर्ट, सभी पक्षों को नोटिस जारी, सोमवार को होगी सुनवाई

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में रातो रात हुए सत्ता के खेल का मामला अब सुप्रीमकोर्ट पहुँच गया है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की तरफ से दायर याचिकाओं में कोर्ट से राज्यपाल का आदेश रद्द करने की मांग की है।

इतना ही नहीं शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के महा विकास अघाड़ी ने अपनी याचिका में राज्य में 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण का आदेश देने की मांग की है।

कोर्ट ने याचिकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकीलों की दलीलें सुनने के बाद सभी पक्षों केंद, राज्य, फडणवीस और अजित पवार को नोटिस जारी किया है। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट सोमवार सुबह 10.30 बजे दोबारा मामले की सुनवाई करेगा।

शिवसेना की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और कांग्रेस-एनसीपी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि बिना केबिनेट की बैठक के आधी रात को राष्ट्रपति शासन हटाया गया।

सिब्बल ने कहा कि शनिवार सुबह 5.17 बजे राष्ट्रपति शासन को निरस्त कर दिया गया और 8 बजे दो व्यक्तियों ने मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। क्या दस्तावेज दिए गए? इसकी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी है।

उन्होंने शिवसेना की तरफ से कहा कि जब शाम 7 बजे यह घोषणा कर दी गयी कि राज्य में हम (शिवसेना) सरकार बनाने जा रहे हैं तो राज्यपाल ने किस आधार पर हम लोगों (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस) से मिले बिना सुबह सुबह शपथ ग्रहण करा दी।

सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल का कृत्य पक्षपातपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण, इस न्यायालय द्वारा स्थापित सभी कानूनों के विपरीत है। अदालत को आज बहुमत सबित करने का आदेश देना चाहिए। यदि बीजेपी के बहुमत है तो वह कभी भी बहुमत सिद्ध कर सकती है।

एनसीपी और कांग्रेस की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल का दायित्व है कि उसे शुरुआत में बहुमत के लिए दस्तावेज और फिजिकल वेरिफिकेशन से संतुष्ट होना होता है, यह एक प्रक्रिया है।

उन्होंने कहा कि जब शाम सात बजे यह घोषणा की गई कि हम सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले हैं और उद्धव ठाकरे इसका नेतृत्व करेंगे, तो क्या राज्यपाल इंतजार नहीं कर सकते थे? केवल 42-43 सीटों के सहारे अजीत पवार उप-मुख्यमंत्री कैसे बन गए? सिंघवी ने कहा कि कल 41 विधायक ने अजित पवार को हटा दिया। अजित का समर्थन पत्र गैरकानूनी है। ऐसे में रातो रात सरकार बनाना लोकतंत्र की हत्या नहीं है?’

कोर्ट ने कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद सभी पक्षकारो को नोटिस जारी किया है। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट सोमवार सुबह 10:30 बजे फिर सुनवाई करेगा।

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TeamDigital