बाबरी विध्वंस मामले में सुप्रीमकोर्ट ने बढ़ाई डेडलाइन
नई दिल्ली। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में सुप्रीमकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट के लिए अपना फैसला सुनाने की डेडलाइन को एक महीने आगे बढ़ा दिया है।
पहले इस मामले में सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने की समय सीमा 31 अगस्त तय की गई थी। न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अयोध्या न्यायाधीश के अनुरोध पर पिछली समय सीमा को बढ़ा दिया है।
इन न्यायाधीश ने मामले की प्रगति रिपोर्ट सुप्रीमकोर्ट में दाखिल करने के साथ ही, मुकदमे को समाप्त करने के लिए कुछ और समय देने के लिए एक आवेदन पत्र भी दिया गया था।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव की रिपोर्ट को पढ़कर, और यह देखते हुए कि इस मामले की कार्यवाहियां अंत की ओर पहुंच रही हैं, हम एक महीने का समय और देते हैं। जिसका मतलब है, 30 सितंबर, 2020 तक का समय कार्यवाही पूरी करके निर्णय देने के लिए दिया जाता है।
इससे पहले मई में पीठ ने सीबीआई अदालत को विशेष न्यायाधीश के एक ऐसे ही अनुरोध पर ध्यान देने के बाद 31 अगस्त, 2020 तक निर्णय देने का निर्देश दिया था।
पीठ ने कहा था कि न्यायाधीश को मुकदमे में सबूतों को पूरा करने के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग का लाभ लेना चाहिए और निर्धारित समय के भीतर मामले को समाप्त कर देना चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए हैं कि मुकदमे को तय समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए।
बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित कई लोगों ने पिछले दिनों वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होकर अपने बयान दर्ज कराये थे।