जम्मू कश्मीर पर सुप्रीमकोर्ट का फैसला: प्रतिबंध लगाने वाले सभी आदेशों की समीक्षा करे सरकार
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद इंटरनेट सहित कई पाबंदियों के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में दायर की गई याचिकाओं पर देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है।
सुप्रीमकोर्ट ने अपने फैसले में सरकार से कहा है कि वह जम्मू कश्मीर को लेकर दिए गए सभी प्रतिबंधात्मक आदेशों का एक सप्ताह के अंदर अवलोकन और समीक्षा करे।
कोर्ट ने अपने फैसले में प्रशासन से अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा। इतना ही नही कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने और उन्हें सार्वजनिक करने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कश्मीर में बहुत हिंसा हुई है। हम सुरक्षा के मुद्दे के साथ मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को संतुलित करने की पूरी कोशिश करेंगे। इस मामले में न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने इन प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली गुलाम नबी आजाद और अन्य की याचिकाओं पर पिछले साल 27 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी।
गुलाम नबी आजाद के अलावा, कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन और कई अन्य ने घाटी में संचार व्यवस्था ठप होने सहित अनेक प्रतिबंधों को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की थीं।
कोर्ट के फैसले की अहम बातें :
जम्मू कश्मीर सरकार एक सप्ताह के भीतर सभी प्रतिबंधात्मक आदेशों की समीक्षा करे।
अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाओं को बहाल हो।
इंटरनेट पर एक समयसीमा तक ही रोक लगना चाहिए।
इंटरनेट का उपयोग करने का अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत एक मौलिक अधिकार है।
हम सुरक्षा के मुद्दे के साथ मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को संतुलित करने की पूरी कोशिश करेंगे।