सीबीआई जांच के लिए राज्यों की सहमति ज़रूरी, सुप्रीमकोर्ट ने लगाई मुहर

सीबीआई जांच के लिए राज्यों की सहमति ज़रूरी, सुप्रीमकोर्ट ने लगाई मुहर

नई दिल्ली। किसी भी राज्य में सीबीआई जांच करने के लिए वहां की सरकार की सहमति आवश्यक है तथा राज्य की अनुमति के बिना केंद्र सरकार सीबीआई का अधिकार क्षेत्र नहीं बढ़ा सकता है। सुप्रीमकोर्ट ने आज इस पर मुहर लगा दी है।

गौरतलब है कि पंजाब, झारखंड, केरल, राजस्थान, बंगाल, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने नए मामलों की जांच के लिए सीबीआई को इजाजत देने से मना किया है। सुप्रीमकोर्ट ने इसी से जुड़े मामले में फैसला दिया है।

सुप्रीम कोर्ट जिस केस पर सुनवाई कर रहा था वह फेरटिको मार्केटिंग एंड इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटिड से जुड़ा था, जिसमें सीबीआई ने एक सरप्राइज रेड की थी। फैक्ट्री में रेड पर पता चला था कि जो कोयला कंपनी ने कोल इंडिया लिमिटिड से फ्यूल सप्लाई अग्रीमेंट के तहत खरीदा था उसकी कथित तौर पर काला बाजारी हो रही थी। सीबीआई ने इसपर केस रजिस्टर किया था।

इस मामले में अगस्त 2019 में इलाहबाद हाई कोर्ट ने इसपर फैसला सुनाया था। इसको चुनौती देते हुए कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटकटाया था, जिस पर आज जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज एएम खानविलकर और बीआर गवई ने दिल्ली स्पेशल इस्लेब्लिसमेंट (डीएसपीई) एक्ट का हवाला दिया। यह सीबीआई को रेग्युलेट करता है।

कोर्ट ने कहा कि डीएसपीई अधिनियम की धारा 5 केंद्र सरकार को केंद्र शासित प्रदेशों से परे सीबीआई की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने में सक्षम बनाती है, लेकिन जब तक कि डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के तहत राज्य संबंधित क्षेत्र के भीतर इस तरह के विस्तार के लिए अपनी सहमति नहीं देता है, तब तक यह स्वीकार्य नहीं है

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TeamDigital