बीजेपी की मनमानी पर शिवसेना ने उठाये सवाल, कहा ‘कारसेवको की कुर्बानी भूलने वाले रामद्रोही’
नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आज संपन्न हुए भूमि पूजन कार्यक्रम में बीजेपी की मनमानी साफ़ तौर पर दिखी। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बीजेपी के चहेतो को ही आमंत्रित किया गया। संघ प्रमुख मोहन भागवत को आमंत्रित किया गया जबकि यूपीए की नेता सोनिया गांधी को आमंत्रित नहीं किया गया।
इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सहित गैर बीजेपी दलों के कई नेताओं को भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने का आमंत्रण पत्र नहीं दिया गया।
इस मामले को लेकर शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साधा है। शिवसेना ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के समय जो लोग ‘कार सेवकों’ की कुर्बानी को भूल गए, वे ‘राम द्रोही’ हैं।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में कहा गया है कि यह ‘भूमि पूजन’ पूरे देश और हिंदुओं का कार्यक्रम है लेकिन यह कैसा हठी फैसला है कि किसी को इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए? सामना में कहा गया कि भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने राम मंदिर निर्माण का श्रेय दिवंगत कांग्रेस नेताओं पी वी नरसिम्हा राव और राजीव गांधी को दिया है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र में लिखा कि यह कार्यक्रम ‘‘व्यक्ति केंद्रित और राजनीतिक पार्टी केंद्रित” है। जहां राम मंदिर का निर्माण होगा, वहां की मिट्टी में ‘कार सेवकों’ की कुर्बानी की गंध है। जो यह बात भूल गए हैं, वे राम द्रोही हैं।
शिवसेना ने कहा कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया।
इतना ही नहीं सामना में कहा गया कि बाबरी मस्जिद को गिराने में अहम भूमिका निभाने वाली शिवसेना को भी आमंत्रित नहीं किया गया। शिवसेना ने कहा, यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि मोदी के शासनकाल में इस मामले का कानूनी समाधान निकला अन्यथा, गोगोई को सेवानिवृत्ति के बाद राज्य सभा का सदस्य नहीं बनाया गया होता।
शिवसेना ने बाबरी कार्य समिति के इकबाल अंसारी को कार्यक्रम का न्यौता मिलने पर सवाल उठाये। पार्टी ने कहा कि अंसारी ने इस लड़ाई को 30 साल तक खींचा, जबकि गोगोई ने भगवान राम को कानूनी पेंच से बाहर निकाला।