मप्र में मंत्रिमंडल विस्तार के दस दिन बाद मिले मंत्रियों को विभाग
भोपाल ब्यूरो। मध्य प्रदेश में शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार के दस दिनों बाद आज मंत्रियों के विभागों का एलान किया गया है। मंत्रिमंडल विस्तार के विभागों के बंटवारे में भी सिंधिया समर्थको का दबदबा कायम रहा है और उन्हें अहम विभागों की ज़िम्मेदारी दी गई है।
विभागों के बंटवारे के बाद अब नरोत्तम मिश्रा गृह, जेल, विधि औऱ संसदीय कार्य मंत्री, गोपाल भार्गव को लोक निर्माण और कुटीर विभाग, तुलसीराम सिलावट जल संसाधन, विजय शाह वन, जगदीश देवड़ा वाणिज्य कर और बिसाहूलाल सिंह खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग संभालेंगे।
वहीँ विजय शाह वाणिज्यकर वित्त योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी, सुरेश धाकड़ राज्यमंत्री लोक निर्माण विभाग, ओ पी एस भदौरिया राज्यमंत्री नगरी विकास और आवास, यशोधरा राजे सिंधिया खेल और युवा कल्याण, तकनीकी शिक्षा, भूपेंद्र सिंह नगरी विकास और आवास, मीना सिंह मांडवे आदिम जाति कल्याण, कमल पटेल किसान कल्याण, एदल सिंह कंसाना लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, गोविंद सिंह राजपूत राजस्व परिवहन, बृजेंद्र प्रताप सिंह खनिज साधन श्रम, विश्वास सारंग चिकित्सा शिक्षा भोपाल गैस त्रासदी विभाग का काम देखेंगे।
इमरती देवी महिला एवं बाल विकास, प्रभु राम चौधरी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महेंद्र सिंह सिसोदिया पंचायत और ग्रामीण विकास, प्रदुम सिंह तोमर ऊर्जा, प्रेम सिंह पटेल पशुपालन सामाजिक न्याय , ओमप्रकाश सकलेचा सूक्ष्म लघु एवं मध्यम विभाग, उषा ठाकुर पर्यटन संस्कृति, अरविंद भदौरिया सहकारित, मोहन यादव उच्च शिक्षा, हरदीप सिंह डंग नव करणी ऊर्जा पर्यावरण, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन विभाग का काम देखेंगे।
भारत सिंह कुशवाह उद्यानिकी और नर्मदा घाटी, इंदर सिंह परमार राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार), सामान्य प्रशासन, रामखेलावन पटेल राज्यमंत्री पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण (स्वतंत्र प्रभार), रामकिशोर नानू राज्यमंत्री आयुष (स्वतंत्र प्रभार), बृजेंद्र सिंह यादव राज्यमंत्री लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी, गिर्राज दंडोतिया राज्य मंत्री किसान कल्याण और कृषि विभाग का काम देखेंगे।
शिवराज सरकार में मंत्रियों की कुल संख्या 33 हो गई है। अहम बात यह है कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आये सिंधिया समर्थको को महत्वपूर्ण विभागों की ज़िम्मेदारी मिली है। इससे साफ़ है कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभागों का बंटवारा इसी कारण टलता रहा।