शिवसेना का मोदी सरकार पर बड़ा हमला: किसान आंदोलन को लेकर लिखा “आओ बैठक बैठक खेलें”
नई दिल्ली। कभी बीजेपी की सहयोगी रही शिवसेना ने किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में “आओ बैठक बैठक खेलें” शीर्षक से प्रकाशित संपादकीय में कहा कि किसानों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच चर्चा के आठ दौर हो जाने के बावजूद यदि कोई नतीजा नहीं निकल रहा होगा तो सरकार को इसमें कोई रस नहीं है, किसानों के इस आंदोलन को जारी रखना है और यही सरकार की राजनीति है।
संपादकीय में किसानो आंदोलन को लेकर मोदी सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किये गए हैं। संपादकीय में कहा गया कि कड़ाके की सर्दी और बारिश से जूझते हुए भी किसानो ने अपना आंदोलन जारी रखा है। पिछले तीन दिनों की बारिश से किसानों के तंबुओं में पानी घुस गया और उनके कपड़े और बिस्तर भीग गए। फिर भी किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
इंसानियत नहीं दिखा रही सरकार:
संपादकीय में आगे कहा गया है कि दिल्ली की सीमा पर अब तक 50 किसानों ने अपनी जान गंवाई है। सरकार की नजर में इन किसानों के बलिदान की कोई कीमत नहीं है। सरकार में इंसानियत होती तो कृषि कानून को तात्कालिक रूप से स्थगित करवाती और किसानों की जान से खेले जानेवाले इस खेल को रोकती।
किसानो के साथ बैठक करने वाले मंत्रियों को निर्णय लेने का अधिकार नहीं:
इतना ही नहीं सामना के संपादकीय में किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच अब हुई बैठकों का हवाला देते हुए कहा गया है कि कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा राज्यमंत्री सोमपाल शास्त्री के साथ किसान नेताओं की बैठक सोमवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई। लेकिन नतीजा क्या हुआ? तीनों मंत्रियों को निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।
पीएम मोदी को करना चाहिए हस्तक्षेप:
सामना ने अपने संपादकीय में आगे लिखा कि किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को हस्तक्षेप करना चाहिए। 8 जनवरी को किसान संगठन और सरकार के बीच फिर एक बैठक होनी है। चर्चा के मुद्दे वही हैं। किसान नेताओं ने सरकार को हर बैठक में चेताया है कि हमें तीन कृषि कानूनों में चर्चा करने में कोई रस नहीं है। हमें कृषि कानून में बदलाव नहीं चाहिए। कानून वापस लोगे तब ही आंदोलन समाप्त होगा।
संपादकीय में कहा गया है कि कड़ाके की ठंड में और मूसलाधार बारिश में भी किसान जल उठा है। ऐसी प्रेरणादायी तस्वीर स्वतंत्रता के पहले भी देखने को नहीं मिली थी। उस समय आंदोलनकारी किसानों को ब्रिटिशों ने देशद्रोही साबित करके मार दिया था। आज भाजपा की केंद्रीय सरकार किसानों को देशद्रोही और आतंकवादी साबित करके मार रही है।