पहले किया था चीनी उत्पादों के बहिष्कार का एलान, अब FDI के लिए हाथ बढ़ा रही सरकार: शिवसेना
नई दिल्ली। शिव सेना ने एक बार फिर केंद्र सरकार की आलोचना की है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामने के माध्यम से केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पहले चीन के बने सामान का बहिष्कार करने का एलान किया गया था, चीन के मोबाईल एप पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था अब सरकार एक बार फिर चीनी कंपनियों के लिए ‘लाल कालीन’ बिछा रही है।
संपादकीय में कहा गया हैं कि मोदी सरकार ने घोषणा की थी कि कैसे वह चीन को रोकेगी….लेकिन वास्तव में आठ महीने में क्या हुआ, वह यह है कि 45 चीनी कंपनियों के लिए लाल कालीन बिछाई गई है।’’
शिवसेना ने सामना में कहा, ‘‘मंत्रालय के आंकड़ों से साफ हो गया है कि चीनी उत्पादों, ऐप को प्रतिबंधित कर एवं स्वदेशी का आह्वान कर राष्ट्रवाद की जिस हवा से बड़े गुब्बारे को भरा गया था वह फूट गया है।’’
सामना के संपादकीय में सरकार पर हमला बोलते हुए कहा गया कि पिछले हफ्ते भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम हुआ। दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंधों में तनाव कम होता नजर आ रहा है। ऐसी संभावना है कि 45 चीनी कंपनियों को भारत में काम करने की मंजूरी दी जाएगी।
संपादकीय में कहा गया कि ऐसा लग रहा है कि कोविड-19 महामारी के बाद चीनी कंपनियों और उनके निवेश के खिलाफ मोदी सरकार का सख्त रुख ढीला पड़ रहा है।
समाना ने अपने संपादकीय में सवाल किया कि ‘क्या यह संयोग है कि केंद्र ने सीमा पर तनाव कम होने के बाद चीन के साथ कारोबार पर भी रुख नरम कर दिया है?’ इतना ही नहीं संपादकीय में आगे कहा गया गत आठ महीने से सीमा संघर्ष गंभीर हो गया था, चीन की आक्रमकता के बाद गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई। भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने के समझौते पर पिछले सप्ताह पहुंचे, लेकिन जल्द ही सामने आया कि दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंध पर से बर्फ पिघलने लगी।
गैर भरोसेमंद एवं अविश्वसनीय’ पड़ोसी है. कारोबार के लिए उसने सीमा पर नरम रुख अख्तियार किया है लेकिन एक बार उद्देश्य पूरा होने पर वह फिर सीमा पर समस्या उत्पन्न करने वाली कार्रवाई कर सकता है।
संपादकीय में कहा गया, ‘पिछले साल भारत ने टिकटॉक सहित 59 चीनी ऐप्स को बंद दिया था। चीन के साथ कुछ समझौतों को रद्द कर दिया गया था। भारत में चीनी निवेश पर अंकुश लगाया था और ‘आत्मनिर्भर भारत’ और राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित किया था।