शिवसेना का हमला: देश में स्वास्थ्य का ढांचा ध्वस्त, क्या इसके लिए बीजेपी नेता मागेंगे इस्तीफा

शिवसेना का हमला: देश में स्वास्थ्य का ढांचा ध्वस्त, क्या इसके लिए बीजेपी नेता मागेंगे इस्तीफा

नई दिल्ली। कोरोना की रफ्तार के बीच देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन और बैड की किल्ल्त का खुलासा होने को लेकर शिवसेना ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र में केंद्र पर निशाना साधते हुए लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि मोदी सरकार कोरोना संकट से निपटने में असफल रही है।

शिवसेना ने कहा कि देश में स्वास्थ्य का ढांचा ध्वस्त हो चुका है और देश में मेडिकल ऑक्सीजन, बेड और वैक्सीन की कमी चिंता का विषय बनी हुई है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है।

सामना में उन बीजेपी नेताओं पर भी निशाना साधा गया जो महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मामलो में बढ़ोत्तरी के लिए उद्धव ठाकरे सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रहे थे।

देश के कई राज्यों के अस्पतालों में ऑक्सीजन और बैड की किल्ल्तों का उल्लेख करते हुए शिवसेना ने कहा कि अब आखिर इसके लिए भाजपा के नेता किससे इस्तीफा मांगेंगे।

सामना के संपादकीय में बीजेपी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा गया कि महाराष्ट्र में कोविड अस्पतालों में लगी आग को वजह बताकर भाजपा के लोग राज्य सरकार से इस्तीफा मांगते हैं, परंतु उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित पूरे देश में श्मशान दहक रहे हैं। ऐसे में किसका इस्तीफा मांगना चाहिए ये सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रत्यक्ष रूप से बता दिया है। ये चाहे जो भी हो, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अब तक मूकदर्शक बने रहने के कारण ही देश पर ये संकट आया है।

संपादकीय में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेताओं द्वारा कोरोना गाडलाइन की धज्जियां उड़ाए जाने का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि पश्चिम बंगाल के चुनाव में देश के गृहमंत्री मास्क लगाए बिना ही भीड़ में घूम रहे थे। जनता मास्क के बिना रोड शो व सभाओं में भीड़ बन रही थी।

वहीँ कोरोना महामारी के बीच आयोजित हुए कुंभ मेले को लेकर सामना ने लिखा कि कुंभ मेले में भी वही भयंकर दृश्य था। उस समय चुनाव आयोग, पुलिस व न्यायालय भी मूकदर्शक बने रहे। कोरोना के संदर्भ में हिंदुस्थान की अवस्था दयनीय होने की घोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की है और इसके लिए सोनिया गांधी अथवा पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी जिम्मेदार नहीं हैं।

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TeamDigital