SC-ST एक्ट के संशोधनों पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अधिनियम में संशोधनों पर रोक लगाने से एक बार फिर इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सभी संबंधित मामलों की सुनवाई 19 फरवरी को की जाएगी। इससे पहले 25 जनवरी को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले में विचार करेगी।
बता दें कि पिछले साल अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम में सेक्शन 18 जोड़ दिया था जिसने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराधों को गैर जमानती बना दिया था। ऐसे मामलों में सरकारी कर्मचारी के खिलाफ भी कार्रवाई करने के लिए पुलिस को अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
इस मामले में सुनवाई के दौरान तत्कालीन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने पिछले साल मार्च में एससी-एसटी अत्याचार के मामलों में तुरंत गितफ़्तार पर रोक लगाकर जांच की बात कही थी।
अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा था कि सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को नियुक्त करने वाले प्राधिकरण से इजाजत लेनी होगी। गैर सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अधीक्षक की अनुमति अनिवार्य थी।
इसके बाद केंद्र ने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली थी मगर कोर्ट ने अपने आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान पीठ ने इस मामले के अग्रिम जमानत के प्रावधान करने के अपने आदेश को सही मानते हुए कहा कि यह जरूरी है।
पीठ ने कहा कि इस मामले में अधिकतम दस वर्ष की सजा का प्रावधान है जबकि न्यूनतम सजा छह महीने है। जब न्यूनतम सजा छह महीने है, तो अग्रिम जमानत का प्रावधान क्यों नहीं होना चाहिए। वह भी तब जबकि गिरफ्तारी के बाद अदालत से जमानत मिल सकती है। जिसके बाद केंद्र ने कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए दोनों सदनों में अध्यादेश पेश किया था।