संजय राउत ने क्यों कहा “केंद्र सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए”

संजय राउत ने क्यों कहा “केंद्र सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए”

नई दिल्ली। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पत्र मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत ने आज भी भारतीय जनता पार्टी पर अपने हमले जारी रखे। संजय राउत ने यहां तक कहा कि जो सोच रहे हैं कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाये तो उन्हें ये नहीं मालुम कि इसके बाद लगी आग में वे खुद झुलस जाएंगे।

संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि परमबीर सिंह के पत्र में गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गाये आरोपों को लेकर शिवसेना और एनसीपी में किसी तरह के मतभेद नहीं हैं।

जब राउत से कुछ वर्गों की ओर से उठ रही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा , ‘‘ इसके बजाय केंद्र को ही बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह अपनी एजेंसियों के माध्यम से राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण कर रहा है।”

शिव सेना सांसद ने कहा कि आज परमबीर विपक्ष के पास सबसे बड़ा हथियार हैं। विपक्ष अब सरकार पर गोले दागने का प्रयास कर रहा है…यदि विपक्ष परमवीर सिंह के कंधों का इस्तेमाल करके सरकार को निशाना बनाना चाहता है तो यह उसे महंगा पड़ेगा।”

सुप्रीमकोर्ट पहुंचे परमबीर सिंह:

मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से हटाकर डीजी होम गार्ड बनाए गए परमबीर सिंह ने अब सुप्रीमकोर्ट का रुख किया है। परमबीर सिंह ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अपने ट्रांसफर को चुनौती दी हैं।

इतना ही नहीं परमबीर ने अपनी याचिका में गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग भी की है। परमबीर सिंह ने याचिका में देशमुख पर लगाए गए आरोपों को दोहराया है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, परमबीर सिंह ने याचिका में कहा है कि गृहमंत्री देशमुख सांसद मोहन डेलकर की मौत के मामले बीजेपी नेताओं को फंसाने का दबाव बना रहे थे।

याचिका में कहा गया है कि सांसद मोहन डेलकर होटल में मृत पाए गए थे। उनके पास 15 पेज का सुइसाइड नोट भी मिला था। शुरुआती जांच के बाद याचिकाकर्ता ने जांच शुरू की और पुलिस विभाग के कानूनी सेल से सलाह मांगी। याचिकाकर्ता पर गृहमंत्री ने दबाव डाला के बीजेपी के कुछ नेताओं को किसी तरह फंसाया जाए और पूरे मामले को राजनीतिक रूप देने के लिए बहुत दबाव डाला गया लेकिन वे इस दबाव में नहीं आए।

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