सोनिया गांधी से मिले सचिन पायलट, मुलाक़ात के बाद दिया बड़ा बयान

सोनिया गांधी से मिले सचिन पायलट, मुलाक़ात के बाद दिया बड़ा बयान

नई दिल्ली। आज सुबह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद आज शाम कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सोनिया गांधी से मुलाक़ात की।

इस मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “सोनिया गांधी जी से हमने बात की है। उन्होंने हमारी सारी बातों को सुना। हम सब चाहते हैं कि 2023 का विधानसभा चुनाव हम मिलकर लड़े। हमें यकीन है कि हम दोबारा कांग्रेस की सरकार बनाएंगे। मेरी पहली प्राथमिकता राजस्थान है।”

गहलोत पर एक दो दिन में फैसला:

इससे पहले आज कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से जब अशोक गहलोत के भविष्य को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं इस पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अगले एक दो दिन में फैसला लेंगी।

गौरतलब है कि आज दिन में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी मिलने पहुंचे थे। गहलोत ने जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं हो पाने की घटना के लिए सोनिया गांधी से माफी मांगी। उन्होंने यह भी कहा कि वह अब अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे।

गलत बयानबाजी न करें पार्टी नेता :

इस बीच कांग्रेस ने पार्टी नेताओं के लिए एडवायजरी जारी की है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल की तरफ से जारी की गई इस एडवायजरी में कहा गया है कि कांग्रेस के किसी नेता या पार्टी के आंतरिक मामलों पर सार्वजनिक बयान देने से बचें, अन्यथा टिप्पणी करने वाले नेताओं पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

गहलोत समर्थक विधायकों के शक्ति प्रदर्शन से नाराज़ हैं सोनिया गांधी:

गौरतलब है कि बीते रविवार को राजस्थान की राजधनी जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में सचिन पायलट भी मौजूद थे लेकिन अशोक गहलोत समर्थकक विधायकों ने बैठक का बॉयकॉट किया और वे विधायक दल की बैठक में आने की जगह विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के आवास पहुंच गए और अपने इस्तीफे की पेशकश की।

विधायक दल की बैठक इसलिए बुलाई गई थी कि यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालते हैं तो उनके स्थान पर राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा। पहले से सब कुछ तय था और विधायक दल की बैठक में राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के नाम का फैसला लेने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अधिकृत किया जाना था लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों के शक्ति प्रदर्शन के कारण विधायक दल की बैठक नहीं हो सकी। इससे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी काफी नाराज़ बताई जाती हैं।

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