मांझी के महागठबंधन छोड़ते ही सीटों के बंटवारे के करीब पहुंचे कांग्रेस-राजद
पटना ब्यूरो। बिहार में विपक्ष के गठजोड़ वाले महागठबंधन में से अब जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा बाहर जाने के बाद राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, उपेंद्र कुशवाहा की राष्र्टीय लोकसमता पार्टी और मुकेश सैनी की वीआईपी पार्टी शेष बचे हैं।
सीटों के बंटवारे को लेकर जल्दबाज़ी दिखा रहे जीतनराम मांझी के महागठबंधन छोड़ते ही कांग्रेस और राजद सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय करने के करीब पहुंच गए हैं और जल्द ही सीटों के बंटवारे का एलान कर दिया जाएगा।
सूत्री की माने तो बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 130 सीटें राष्ट्रीय जनता दल, 80 सीटें कांग्रेस, 23 सीटें रालोसपा और 10 सीटें वीआईपी पार्टी को दिए जाने के लिए बात चल रही है। हालांकि अभी वामपंथी दलों को भी महागठबंधन में लिए जाने की बात चल रही है तथा समाजवादी पार्टी ने भी बिहार में चुनाव लड़ने में दिलचस्पी दिखाई है। ऐसे हालातो में 10 से 15 सीटें वामपंथी दलों और समाजवादी पार्टी के लिए छोड़नी होंगी।
सूत्रों ने कहा कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी बिहार की कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है, जिनकी तादाद करीब 10 है। सूत्रों के मुताबिक वहीँ वामपंथी दलों को महागठबंधन में शामिल किये जाने की स्थति में कांग्रेस, राजद और रालोसपा को अपने कोटे में से सीटें देनी होंगी।
दूसरी तरफ जल्दबाज़ी में महागठबंधन छोड़कर जीतनराम मांझी मंझधार में फंस गए हैं। लोकजनशक्ति पार्टी और बीजेपी के रिश्ते सुधरने के बाद मांझी की पार्टी को एनडीए में जगह नहीं मिलती दिख रही। सूत्रों का कहना है कि महागठबंधन छोड़कर बाहर गए जीतनराम मांझी के समक्ष नीतीश कुमार ने हिंदुस्तान आवाम मोर्चा(हम) को जेडीयू में विलय करने की शर्त रखी है। ऐसे में जीतनराम मांझी के समक्ष अपनी पहचान बनाये रखने का प्रश्न पैदा हो गया है।
यदि जीतनताम मांझी अपनी पार्टी को जेडीयू में विलय करते हैं तो उनकी अब तक की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा और वे सिर्फ एक जेडीयू नेता बनकर रह जाएंगे।
सूत्रों ने कहा कि फिलहाल मांझी अपने करीबियों के साथ मंत्रणा कर रहे हैं और सभी से सलाह ले रहे हैं कि क्या उन्हें अपनी पार्टी जेडीयू में विलय करनी चाहिए या नहीं।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अगले दो सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण है। संभावना है कि आगामी दो सप्ताह के अंदर बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग की तरफ से औचारिक तौर पर एलान कर दिया जाएगा।