अलवर में पुलिस बेरिकेटिंग तोड़ हरियाणा की सीमा में घुसे राजस्थान के किसान
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ जहाँ 36वे दिन भी किसान आंदोलन जारी है वहीँ इस बीच अलवर में आज राजस्थान के किसान हरियाणा बॉर्डर पर लगी बेरिकेटिंग तोड़कर हरियाणा में घुस गए हैं।
पुलिस ने किसानो को हरियाणा सीमा में रोकने के लिए लाठीचार्ज भी किया। इसके बावजूद दर्जनों ट्रेक्टर ट्रॉलियां हरियाणा की सीमा में प्रवेश कर गए। ये किसान पिछले कई दिनों से राजस्थान हरियाणा की सीमा पर डेरा डाले हुए थे और दिल्ली जाने के लिए हरियाणा की सीमा में प्रवेश करना चाहते थे।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि किसान हमारे भाई हैं। दूसरी राजनीतिक पार्टियों ने उन्हें उकसाया है जिससे यह आंदोलन शुरू हुआ। अब केंद्र सरकार और किसानों के प्रतिनिधि इसका रास्ता निकाल रहे हैं। कुछ बातें कल मान ली गई हैं और बाकी बातों की चर्चा 4 जनवरी को होगी। इसका समाधान हो इसकी मैं आशा करता हूं।
पंजाब में रिकोर्ड जिओ कनेक्शन पोर्ट:
पंजाब में किसानो ने कृषि कानूनों को लेकर रिलायंस जिओ पर अपना गुस्सा निकाला है। राज्य में लाखो की तादाद में जिओ नंबर दूसरे नेटवर्क पर पोर्ट कराये गए हैं। इतना ही नहीं किसानो ने अपना आक्रोश जताते हुए जिओ टॉवरों को भी शटडाउन कर दिया था तथा कई जगह टॉवरों पर भी तोड़फोड़ की खबरें आई हैं।
पंजाब में मोबाइल टाॅवरों में हुई तोड़फोड़ पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, “क्या हम किसानों के लिए ज़िम्मेदार हैं, संसद में बिल किसने पास किए? अगर आप किसानों की सोच को सामने नहीं रखोगे तो ऐसी ही घटनाएं होंगी। टाॅवर अब काफी हद तक नियंत्रण में हैं, 200 टाॅवर ठीक होने रह गए हैं।”
कृषि कानूनों के खिलाफ केरल विधानसभा में प्रस्ताव पास:
केरल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार की तरफ से रखा गया प्रस्ताव पास हो गया है। केरल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने पर फरीदकोट के ज़िला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने कहा कि केरल सरकार ने अच्छा किया है क्योंकि ये कानून किसानों के हित में नहीं है, इस बात को केंद्र को भी समझना चाहिए तथा 4 जनवरी को होने वाली बैठक में कानून को रद्द कर देना चाहिए।
वहीँ केरल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने पर बीजेपी नेता शाहनवाज़ हुसैन ने कहा कि केरल सरकार ने अच्छा किया है क्योंकि ये कानून किसानों के हित में नहीं है, इस बात को केंद्र को भी समझना चाहिए तथा 4 जनवरी को होने वाली बैठक में कानून को रद्द कर देना चाहिए।