राहुल गांधी ने अमेरिका के डिप्लोमेट निकोलस बर्न्स से की कोरोना और लॉकडाउन पर चर्चा
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से पैदा हुए हालातो को लेकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार दुनिया के विशेषज्ञों से चर्चा कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने आज अमेरिका के डिप्लोमेट निकोलस बर्न्स से बातचीत की।
बर्न्स नाटो के पूर्व राजदूत, राजनीतिक मामलों के अंडर सेक्रेटरी और राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता रह चुके हैं।
बर्न्स नाटो फिलहाल हॉवर्ड केनेडी स्कूल में प्रोफेसर हैं। इसके साथ वह अनेक मुद्दों पर कॉलम भी लिखते हैं। वह कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध पर लेक्चर देते हैं। 64 साल के बर्न्स ने करीब 27 साल अमेरिकी सरकार के लिए काम किया है। इसमें उन्होंने राजदूत, गृह मंत्रालय के प्रवक्ता, नाटो के प्रवक्ता आदि महत्वपूर्ण पद संभाले हैं।
लाइव प्रसारण में बातचीत के दौरान राहुल ने कहा हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो रहा है। यह काफी दुःखद है कि मैं उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो मैं पहले देखता था। ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही। राहुल ने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि हम एक जैसे इसलिए हैं, क्योंकि हम सहिष्णु हैं। हम बहुत सहिष्णु राष्ट्र हैं। हमारा डीएनए सहनशील माना जाता है, हम नए विचारों को स्वीकार करने वाले हैं।’
इस पर अमेरिकी राजदूत रहे निकोलस बर्न्स ने कहा कि कई मायनों में भारत और अमेरिका एक जैसे हैं। हम दोनों ब्रिटिश उपनिवेश के शिकार हुए, हम दोनों ने अलग-अलग शताब्दियों में उस साम्राज्य से खुद को मुक्त कर लिया।
अमेरिका में अश्वेत आंदोलन पर बर्न्स ने कहा, ‘अमेरिका में इस तरह की दिक्कतें हैं, अफ्रीकी-अमेरिकियों के साथ लंबे वक्त से ऐसा होता रहा है। अमेरिका में मार्टन लूथर किंग ने बड़ा काम किया है, उनके आदर्श महात्मा गांधी थे। अमेरिका ने बराक ओबामा जैसे नेता को राष्ट्रपति चुना, लेकिन आज क्या देखने को मिल रहा है। किसी का भी हक है, प्रदर्शन करना, लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति ब्लैक लोगों को आतंकवादी समझते हैं।’
राहुल गांधी ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों ही सहिष्णु देश हैं, जो नए विचार को समझते हैं और किसी भी विचार की इज्जत करते हैं, लेकिन आज दोनों देशों में दिक्कत है।
इस पर निकोलस बर्न्स ने कहा कि अमेरिका के लगभग हर शहर में आज इस तरह का प्रदर्शन हो रहा है, जो लोकतंत्र के लिए मायने रखता है। अगर हमें चीन जैसे देश को देखते हैं, तो हम काफी बेहतर हैं। भारत में भी यही है, वहां भी लोकतंत्र है और लंबे संघर्ष के बाद आजादी मिली है। हमें उम्मीद है कि अमेरिका का लोकतंत्र फिर मजबूत होगा।
राहुल गांधी ने कहा, मुझे लगता है कि हर समय में लोकतंत्र ही सही है, हमें अपने लोकतंत्र को और मजबूत करना होगा। आज दोनों देशों में लोग बोलने से डरते हैं, लेकिन हमें पहले जैसा माहौल वापस लाना होगा। इस पर जवाब देते हुए निकोलस बर्न्स ने कहा कि दोनों देशों को इसको लेकर बात करनी होगी और काम भी करना होगा।
महामारी को लेकर बर्न्स ने कहा, ‘हमें वैश्विक राजनीति का भविष्य चाहिए. भले ही हम प्रतिस्पर्धा करने जा रहे हैं। चीन और अमेरिका, भारत और अमेरिका। मगर हमें दुनिया को संरक्षित करने की जरूरत है। हम दुनियाभर के लोगों की ओर से एक साथ काम कर सकते हैं और लोगों को उम्मीद दे सकते हैं कि सरकार के रूप में हम उनकी मदद कर सकते हैं। कोविड के साथ यही चुनौती है।’
कोरोना संकट से निपटने के तरीके पर उन्होंने कहा, ‘हमारी लड़ाई सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए है। भारत की तरह लोगों को मास्क पहनने के लिए मनाने की कोशिश करना है क्योंकि अमेरिका में लोग इसे छोड़ना शुरू कर रहे हैं। आम तौर पर युवा लोग।’
गौरतलब है कि इससे पहले राहुल गांधी रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी और कारोबारी राजीव बजाज से भी कोरोना संक्रमण से पैदा हुए हालातो को लेकर संवाद कर चुके हैं।