रायबरेली और वाराणसी में भी धरना शुरू, महिलाओं की गिरफ्तारी पर उठे सवाल

रायबरेली और वाराणसी में भी धरना शुरू, महिलाओं की गिरफ्तारी पर उठे सवाल

लखनऊ ब्यूरो। दिल्ली के शाहीन बाग़ की तर्ज पर जहाँ लखनऊ के घंटाघर में आज सातवें दिन भी धरना जारी है वहीँ उत्तर प्रदेश के रायबरेली और वाराणसी में भी नागरिकता कानून के खिलाफ महिलाओं ने धरना शुरू कर दिया है।

रायबरेली कोतवाली के तिलिया कोट पर बुधवार को सीएए और एनआरसी वापस लेने की मांग को लेकर यहाँ महिलाओं ने अपना धरना शुरू किया है। इस धरने में महिलाओं की तादाद कल से बढ़ना शुरू हो गई है।

वहीँ गुरूवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बेनिया बाग के गांधी चौराहे पर भी नागरिकता कानून के खिलाफ महिलाओं ने धरना शुरू किया। शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों में से करीब एक दर्जन महिलाओं और आधा दर्जन पुरुषों पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प हुई।

हालाँकि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प के चलते महिलाएं वापस जाने में सफल रहीं लेकिन पुलिस ने लगभग एक दर्जन पुरुष प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके पुलिस लाइन भेज दिया है।

प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि शांतिपूर्व शुरू किये गए विरोध प्रदर्शन को पुलिस ताकत के बल पर दबाने की कोशिश कर रही है। महिलाओं ने कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ हमारा यह धरना अब तभी खत्म होगा जब सरकार यह काला कानून वापस ले लेगी।

उत्तर प्रदेश के कई शहरो में नागरिकता कानून के खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शन के बाद पुलिस ने अब तक 1200 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इसमें अलीगढ़ में 60 महिलाओं, प्रयागराज में 300 महिलाओं, इटावा में 200 महिलाओं और 700 पुरुषों पर केस दर्ज किया गया है।

नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश के अलीगढ, इलाहाबाद, लखनऊ, इटावा, वाराणसी सहित कई शहरो में महिलाएं अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी हैं। कल सुप्रीमकोर्ट द्वारा नागरिकता कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर तुरंत सुनवाई से इंकार के बाद अब माना जा रहा है कि विरोध और तेजी पकड़ सकता है।

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TeamDigital