पढ़िए: नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में प्रदर्शनो का हाल

नई दिल्ली। नागरिकता कानून के खिलाफ देश के कई शहरो में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला रविवार को भी जारी रहा। दिल्ली के शाहीन बाग़ में पिछले 57 दिनों से नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन जारी है।
नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ सड़को पर लड़ाई रह रहे लोगों का मानना है कि अब प्रदर्शनों के साथ हस्ताक्षर अभियान भी शुरू किया जाना चाहिए और करोडो लोगों के हस्ताक्षरों के साथ देश के राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश को संबोधित एक ज्ञापन दिया जाना चाहिए। इस ज्ञापन में एनपीआर पपर रोक लगाने और नागरिकता कानून को रद्द करने की मांग की जायेगी।
नागरिकता कानून के खिलाफ बेंगलुरु के टैन्नरी रोड पर चल रहे धरने से जुडी अफ्शा ने कहा कि एनपीआर और नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमे महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और माँननीय सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तक अपनी बात पहुंचानी पड़ेगी।

अफ्शा ने कहा कि मीडिया हमारे आंदोलन को गलत तरीके से पेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। इसे मीडिया से जुड़े कुछ लोग देश विरोधी बताकर बदनाम करना चाहते हैं।
वहीँ इससे पहले कल दिल्ली में चुनाव के बावजूद शाहीन बाग़ और जामा मस्जिद पर प्रदर्शन जारी रहा। प्रदर्शन में शामिल लोग इस तरह मतदान करने गए कि प्रदर्शन स्थल खाली न रह पाए।

पंजाब के अमृतसर में मुसलमानो ने नागरिकता कानून पर विरोध जताने और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए स्वर्ण मंदिर में नमाज़ अदा की। पश्चिम बंगाल के बर्दवान में नागरिकता कानून का विरोध और समर्थन कर रहे प्रदर्शनकारी आपस में भिड़ गए। इसमें कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं के घायल होने की खबर है।

हैदराबाद में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को पुलिस ने देर रात गिरफ्तार कर लिया। इसमें करीब 30 महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बस में बैठाकर करीब के पुलिस स्टेशन भेज दिया।

चेन्नई में डीएमके के अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने आज ओटेरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया।

वहीँ असम की राजधानी गुवाहटी में आल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) ने नागरिकता कानून, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ विरोध मार्च का आयोजन किया। इस विरोध मार्च में बड़ी तादाद में आसू के कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय लोग मशाल लेकर शामिल हुए।