पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ दाखिल किया गया ‘विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव’
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दाखिल किया गया है। यह प्रस्ताव भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम ने दाखिल किया है।भाकपा सांसद द्वारा यह विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव 6 फरवरी को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए बयान को लेकर दाखिल किया गया।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि विजयन एक तरफ सीएए विरोधी प्रदर्शनों में चरमपंथी तत्वों के घुसपैठ की चेतावनी दे रहे हैं तो दूसरी तरफ उनकी पार्टी दिल्ली में उनका समर्थन कर रही है। विश्वम का आरोप है कि प्रधानमंत्री ने अपने राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने के लिए सीएम विजयन के बयान में हेरफेर किया है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने सीएए के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों को लेकर सदन को गुमराह करने का प्रयास किया है। इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री ने भी मोदी के बयान पर आपत्ति जताई थी और प्रधानमंत्री से अपना बयान ‘सुधारने’ की मांग भी की थी।
प्रस्ताव में कहा गया है, “प्रधानमंत्री का आशय था कि केरल सरकार का मानना है कि सीएए एनआरसी- एनपीआर के खिलाफ चल रहे देशव्यापी विरोध चरमपंथी तत्वों द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं।”
प्रधानमंत्री के दावे का खंडन करते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि 3 फरवरी 2020 को केरल विधानसभा में मुख्यमंत्री के जवाब का एक प्रमाण, यह स्पष्ट करता है कि उनकी टिप्पणी एक विशेष अतिवादी संगठन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) की गतिविधियों के संदर्भ में थी। वह स्पष्ट रूप से बताता है कि लोकतांत्रिक लोगों के आंदोलन में घुसपैठ करने और उसे मोड़ने के लिए एसडीपीआई द्वारा प्रयास किए गए हैं और इस तरह के प्रयासों को केरल सरकार द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि “यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सीएम ने किसी भी परिस्थिति में सीएए के खिलाफ लोगों के आंदोलन की वैधता पर सवाल नहीं उठाया, न ही सुझाव दिया कि चरमपंथी तत्व इन विरोधों को आयोजित कर रहे थे, जैसा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा था।”