पीएम मोदी के भाषण में फिर रहा चीन का नाम गायब, कांग्रेस ने पूछा ‘ऐसी क्या मजबूरी है’
नई दिल्ली। चीन से चल रही तनातनी के बीच शुक्रवार को लेह पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैनिको को संबोधित किया लेकिन उनके भाषण में चीन का ज़िक्र न होने को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर सवाल दागा है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए पूछा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन का नाम लेने से गुरेज क्यों है। सुरजेवाला ने यह भी सवाल किया है कि चीन से आंख में आंख डाल कब बात होगी। सुरजेवाला ने कहा है कि आखिर मजबूत भारत के प्रधानमंत्री इतने कमजोर क्यों हैं।
सुरजेवाला ने ट्वीट कर तारीखे गिनाते हुए लिखा कि ’28 मई, 2020 – “मन की बात” में चीन का नाम नहीं। 30 मई, 2020 – “राष्ट्र के नाम” संदेश में चीन का नाम नहीं। 3 जुलाई, 2020 – “सैनिकों से बात” में चीन का नाम नहीं। मज़बूत भारत के प्रधानमंत्री इतने कमजोर क्यों? चीन का नाम तक लेने से गुरेज़ क्यों?चीन से आँख में आँख डाल कब बात होगी?’
वहीँ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि ‘भारत सुपर पावर है, मगर देश के प्रधानमंत्री चीन का नाम तक नहीं लेते हैं। यह जानते हुए कि चीन हमारे सिर पर आकर बैठा है, आखिर क्या वजह है कि प्रधानमंत्री के मुंह से चीन शब्द नहीं निकलता है। देश की सीमा पर जो हालात हैं, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताने चाहिए।’
गौरतलब है कि आज पीएम नरेंद्र मोदी उन सैनिको से भी मिले जो चीनी सैनिको के साथ हिंसक झड़पों में घायल हो गए थे और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस झड़प में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘जो वीर शहीद हुए वो हमें बिना किसी कारण के छोड़कर नहीं गए, आप सबने उचित जवाब दिया। देश की सीमा की सुरक्षा के लिए आपकी बहादुरी और जो खून आपने बहाया वह हमारे युवाओं को और देशवासियों को कई पीढ़ियों तक प्रेरित करता रहेगा।’
प्रधानमंत्री ने कहा, हमारा देश किसी भी स्थिति में कभी भी नहीं झुका है और हम दुनिया की किसी भी शक्ति के आगे झुकने वाले नहीं हैं। मैं आपके साथ-साथ उन माताओं को भी सम्मान देता हूं जिन्होंने आप जैसे बहादुरों को जन्म दिया। मैं उम्मीद करता हूं कि आप सब जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाएं।
भारतीय सेना के जवानों को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि विस्तारवाद का युग खत्म हो चुका है। अब विकासवाद का समय आ गया है। तेजी से बदलते हुए समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है। विकासवाद के लिए अवसर है और विकासवाद ही भविष्य का आधार है।