कोर्ट की गंभीर टिप्पणी: तब्लीगी जमात के लोगों को बनाया गया बलि का बकरा
मुंबई। कोरोना के लिए ज़िम्मेदार ठहराकर तब्लीगी जमात में शामिल होने आये विदेशी लोगों की धड़-पकड़ को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने तब्लीगी जमात को लेकर मीडिया ट्रायल पर भी नाराज़गी जताई है।
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कहा है कि तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल विदेश से आए लोगों को बलि का बकरा बनाया गया। अदालत ने इसे लेकर मीडिया के द्वारा किए गए प्रोपेगेंडा की भी आलोचना की और विदेश से आए जमातियों पर दर्ज एफ़आईआर को भी रद्द कर दिया।
कोर्ट ने यह टिप्पणी घाना, तंजानिया, इंडोनेशिया, बेनिन और कुछ और देशों के तब्लीग़ी जमात से जुड़े लोगों की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की। जस्टिस टीवी नलवडे और जस्टिस एमजी सेवलिकर की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि एक राजनीतिक सरकार किसी महामारी या आपदा के दौरान बलि का बकरा खोजती है और हालात इस बात को दिखाते हैं कि ऐसी संभावना है कि इन विदेशियों को बलि का बकरा बनाया गया है। पहले के हालात और भारत के ताज़ा आंकड़े यह दिखाते हैं कि इन लोगों के ख़िलाफ़ ऐसी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
गौरतलब है कि तब्लीगी जमात में शामिल होने भारत आये कई देशो के नागरिको द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिकाकर्ताओं द्वारा कहा गया कि वे जायज वीजा लेकर भारत आए थे। एयरपोर्ट पर पहुंचने पर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की गई और कोरोना टेस्ट किया गया और नेगेटिव आने पर ही उन्हें एयरपोर्ट से निकलने दिया गया।
याचिका में कहा गया कि हम किसी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं थे और हमने जिलाधिकारी के किसी आदेश का उल्लंघन नहीं किया, बल्कि अहमदनगर पहुंचने पर जिले के डीएसपी को बता दिया था और 23 मार्च से लॉकडाउन लगने के कारण होटल, लॉज बंद थे और इस कारण उनके रुकने की व्यवस्था मस्जिद में की गई है।
याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की बैंच ने 29 विदेशियों के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को रद्द करने का आदेश दिया। इतना ही नहीं अदालत ने विदेशी नागरिको के खिलाफ हुई कार्रवाही से भी असहमति जताई।