पाक हिन्दुओं ने ख़ारिज किया सीएए, कहा ‘भारत के पीएम का नागरिकता ऑफर स्वीकार नहीं’

पाक हिन्दुओं ने ख़ारिज किया सीएए, कहा ‘भारत के पीएम का नागरिकता ऑफर स्वीकार नहीं’

नई दिल्ली। नागरिकता कानून को लेकर भले ही सरकार इस कानून के ज़रिये पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ौसी देशो में रह रहे हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध को नागरिकता देने की बात कह रही हो लेकिन पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दुओं ने फिलहाल पीएम नरेंद्र मोदी के भारत की नागरिकता देने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

गल्फ न्यूज़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों ने नागरिकता कानून (सीएए) को मुसलमानो के साथ भेदभाव वाला बताकर खारिज कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू अल्पसंख्यको ने भारत की नागरिकता दिए जाने के प्रस्ताव को भी रद्द कर दिया है।

गल्फ न्यूज से बात करते हुए, दुबई स्थित पाकिस्तानी हिंदू, दिलीप कुमार ने कहा: “भारत का कानून पूरी तरह से (मानवता और सनातन धर्म के आध्यात्मिक मानदंडों) के खिलाफ है। सनातन धर्म का उपयोग सभी हिंदुओं पर धार्मिक रूप से जाति या संप्रदाय की परवाह किए बिना हिंदू धर्म में कर्तव्यों को दर्शाने के लिए किया जाता है।”

दिलीप कुमार ने गल्फ न्यूज़ से कहा कि “मनुष्य के रूप में, हम किसी भी धर्म के अनुयायियों से भेदभाव नहीं कर सकते। हम नहीं चाहते कि भारत के मुसलमान किसी आतंक का सामना करें। हम इस कानून की निंदा करते हैं क्योंकि धार्मिक उत्पीड़न पाकिस्तान के हिंदुओं को स्वीकार नहीं है।”

वहीँ शारजाह स्थित पाकिस्तानी ईसाई समुदाय के नेता रेवरेंड जोहान कादिर ने गल्फ न्यूज़ से कहा कि पाकिस्तानी ईसाई समुदाय भी भारत के नए नागरिकता संशोधन विधेयक को खारिज करता है। उन्होंने कहा कि “हम, पाकिस्तान के ईसाईयों को भारत में शरण लेने में कोई रुचि नहीं हैं। मुझे कहना होगा कि मोदी का नागरिकता बिल अल्पसंख्यकों का पक्षधर नहीं है क्योंकि यह भेदभावपूर्ण और बुनियादी मानवाधिकारों के खिलाफ है। “

गल्फ न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की हिंदू काउंसिल के संरक्षक राजा असार मंगलानी ने पहले अनादोलु एजेंसी को बताया कि “यह पाकिस्तान के संपूर्ण हिंदू समुदाय की तरफ से भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक सर्वसम्मत संदेश है। एक सच्चा हिंदू कभी भी इस कानून का समर्थन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि कानून ने भारत के अपने संविधान का उल्लंघन किया है।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन के एक ईसाई सदस्य सीनेटर अनवर लाल डीन ने भी कहा कि यह कानून धार्मिक समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने के लिए है।

विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता डीन ने कहा कि “यह मौलिक मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है, हम स्पष्ट रूप से इसे अस्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि ”इस तरह के अन्यायपूर्ण और अनकहे कदमों के जरिए, मोदी सरकार धार्मिक समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहती है।”

रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के सिख समुदाय ने भी विवादास्पद कानून की निंदा की है। पाकिस्तान में बाबा गुरु नानक के नेता गोपाल सिंह ने कहा, “न केवल पाकिस्तानी सिख बल्कि दुनिया के पूरे सिख समुदाय, जिनमें भारत के लोग भी शामिल हैं, इस कदम की निंदा करते हैं।”

उन्होंने कहा कि “सिख समुदाय भारत और पाकिस्तान दोनों देशो में अल्पसंख्यक है। अल्पसंख्यक समुदाय का सदस्य होने के नाते, मैं भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यको के दर्द और आशंकाओं को महसूस कर सकता हूँ। यह बस उत्पीड़न है।” उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वे अल्पसंख्यकों को दीवार के पीछे नहीं धकेलें।

गौरतलब है कि नागरिकता कानून को लेकर भारत सरकार का दावा है कि इस कानून के तहत दूसरे देशो में उत्पीड़ित किये गए अल्पसंख्यको को भारत सरकार नागरिकता देकर भारत में बसायेगी। नागरिकता कानून में भारत की नागरिकता देने के लिए सिर्फ मुसलमानो के नाम का उल्लेख नहीं है। इसमें हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी आदि को शामिल किया गया है।

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