शीतकालीन सत्र से पहले विपक्ष को सरकार के खिलाफ मिला एक और अस्त्र

शीतकालीन सत्र से पहले विपक्ष को सरकार के खिलाफ मिला एक और अस्त्र

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों की वापसी को लेकर किये गए एलान के बाद कांग्रेस सहित विपक्ष के कई दलों ने सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है। इस महीने शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विपक्ष के पास सरकार के खिलाफ एक बड़ा अस्त्र हाथ लग गया है।

दरअसल, तीन नए कृषि कानूनों को लेकर जहां एक तरफ देश के कई किसान संगठन आंदोलन कर रहे थे वहीँ विपक्ष पहले ही दिन से नए कृषि कानूनों पर विरोध जता रहा था। इतना ही नहीं कांग्रेस सहित विपक्ष के कई दलों ने संयुक्त रूप से नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार के खिलाफ संसद से सड़क तक मोर्चेबंदी भी की थी।

वहीँ दूसरी तरफ सरकार इस मामले में विपक्ष से किसी तरह का सलाह मशविरा करने से परहेज करती रही। इतना ही नहीं सरकार में शामिल मंत्री और बीजेपी नेता मोदी सरकार को किसानो का हितेषी और कृषि कानूनों को किसानो के फायदे वाला साबित करने के चक्कर में आंदोलनकारी किसानो पर तरह तरह की छींटाकशी करते रहे।

29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले भले ही पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की घोषणा कर दी है, लेकिन किसानों का आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है। सरकार की ईमानदारी की असल परीक्षा शीतकालीन सत्र में ही होनी है, जिसमे वादे के अनुसार नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने कवायद शुरू होगी।

संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलेगा। विपक्ष के हौसले पहले ही इसलिए बुलंद है क्यों कि कृषि कानूनों पर सरकार को न सिर्फ अपने कदम वापस खींचने पड़े हैं बल्कि विपक्ष का वह दावा भी सच हो रहा है जिसमे कहा गया था कि सरकार को कृषि कानून वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

इस बीच आज राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़के ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके आवास दस जनपथ पर मुलाकात की है। माना जा रहा है कि शीतकालीन सत्र में सरकार के खिलाफ विपक्ष की मोर्चेबंदी और कृषि कानूनों पर सरकार के कदम वापस खींचने पर भी चर्चा हुई है।

वहीँ सूत्रों का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लेने के एलान के बाद की स्थिति पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी जल्द ही विपक्षी दलों की बैठक आयोजित करने पर विचार कर रही हैं। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले संभावित इस बैठक को कई मायने में अहम माना जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में शीतकालीन सत्र को लेकर विपक्षी दल रणनीति तय करेंगे और कई अन्य मुद्दों पर सरकार की घेराबंदी को लेकर चर्चा करेंगे। सूत्रों की माने तो इस बैठक में विपक्षी दलों की एकता और राज्यों से बीजेपी को खदेड़ने पर भी चर्चा हो सकती है। गौरतलब है कि अगले वर्ष के शुरू में ही पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न होने हैं।

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TeamDigital