जम्मू कश्मीर में नए भूमि कानून पर उमर अब्दुल्ला बोले “जम्मू-कश्मीर बिक्री के लिए तैयार”
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए ज़मींन के मालिकाना हक के कानून में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार द्वारा मंगलवार को जारी किये गए नोटिफिकेशन के बाद अब जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए स्थानीय प्रमाणपत्र की कोई जरूरत नहीं होगी।
सरकार द्वारा कानून में बदलाव किये जाने के बाद कोई भी व्यक्ति जम्मू कश्मीर में आवासीय या कृषि भूमि खरीद सकता है। मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर सरकार के फैसले पर नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा,”भूमि कानून में संशोधन से अब जम्मू-कश्मीर बिकने के लिए तैयार है।”
अपने ट्वीट में उमर अब्दुल्ला ने लिखा, “जम्मू-कश्मीर में जमीन के मालिकाना हक के कानून में जो बदलाव किए गए हैं, वो कबूल करने लायक नहीं हैं। अब तो बिना खेती वाली जमीन के लिए स्थानीयता का सबूत भी नहीं देना है। अब जम्मू-कश्मीर बिक्री के लिए तैयार है, जो गरीब जमीन का मालिक है, अब उसे और मुश्किलें झेलनी होंगी।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर अवसरवादी होने का आरोप लगाते हुए एक अन्य ट्वीट में कहा कि “दिलचस्प बात यह है कि केंद्र ने तब तक इंतजार किया जब तक कि एलएएचडीसी के चुनाव नहीं हो गए और बीजेपी ने लद्दाख को भी बेचने से पहले बहुमत हासिल कर लिया। बीजेपी के आश्वासनों पर भरोसा करने के लिए लद्दाख के लोगों को यही मिला है।”
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के कुछ समय बाद मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित घोषित किये जाने के बाद अब मोदी सरकार ने वहां के भूमि कानून में बदलाव किया है। पहले जम्मू कश्मीर से बाहर का व्यक्ति राज्य में ज़मीन नहीं खरीद सकता था।
कांग्रेस ने भी जताया विरोध:
वहीँ जम्मू कश्मीर के भूमि कानून में बदलाव को लेकर कांग्रेस ने भी विरोध जताया है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा की जम्मू कश्मीर को लेकर पार्टी कानून थोपने के खिलाफ रही है और जम्मू कश्मीर में भी जमीन सम्बन्धी कानून में बदलाव के निर्णय का पार्टी विरोध करती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित राज्य का दर्जा देने और वहां जमीन खरीदने संबंधी कानून में संशोधन का विरोध करती है। इस संबंध में पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारक संस्था में भी विचार-विमर्श हुआ था और वहां भी इसका विरोध किया गया और वह भी आज उसी उसको दोहरा रहे हैं।