संसद में सरकार का बयान: राष्ट्रव्यापी NRC को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ

संसद में सरकार का बयान: राष्ट्रव्यापी NRC को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ

नई दिल्ली। देशभर में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। सरकार ने मंगलवार को संसद में कहा कि अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) तैयार करने के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी देते हुए कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), 2019 को 12 दिसंबर , 2019 को अधिसूचित किया गया था और यह 10 जनवरी, 2020 को अमल में आया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नियमों के अधिसूचित होने के बाद लोग इस कानून के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।

राय ने कहा, ‘‘सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी तैयार करने के बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 31 अगस्त, 2019 को असम में एनआरसी से बाहर रहे परिवारों की सूची प्रकाशित की गई थी।

गौरतलब है कि देशभर में एनआरसी लागू किये जाने को लेकर लोगों के अंदर कई तरह आशंकाएं हैं। नागरिकता संशोधित कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ देश में कई जगह आंदोलन, धरना और प्रदर्शन हुए थे।

वहीँ जातिगत जनगणना के सवाल पर जबाव देते हुए गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में कहा कि आजादी के बाद से भारत सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति-वार आबादी की गणना कभी नहीं की है।

मंत्री राय ने कहा कि जनगणना कार्यक्रम केंद्रीय मंत्रालयों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ विचार विमर्श के बाद तैयारकिया गया है। राय के बयान से स्पष्ट है कि केंद्र जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है। विपक्षी दलों के अलावा बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन की घटक नीतीश कुमार नीत जेडीयू भी इसकी मांग कर रहा है।

गृह राज्यमंत्री ने कहा कि जनगणना-2021 कराने की सरकार की मंशाा 28 मार्च, 2019 को राजपत्र में इसे अधिसूचित करने से प्रकट हो गई थी, लेकिन कोविड-19 के महामारी के कारण  जनगणना कार्यों को स्थगित कर दिया गया है।

लोकसभा में पूछा गया था कि क्या सरकार ने 2021-22 में जाति आधारित जनगणना कराने पर विचार किया है? यदि हां, तो उसका ब्यौरा क्या है? यदि नहीं, तो इसके क्या कारण है?

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री राय ने जवाब में कहा कि जिन जातियों और जनजातियों को विशेष रूप से संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 के अनुसार अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में अधिसूचित किया गया है, उनकी गणना की जाती है।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से जनगणना में अजा-जजा के अलावा अन्य जाति के आधार पर आबादी की गणना नहीं की है। पिछले कई दिनों से देश के कई राजनीतिक दल जातिवार जनगणना की मांग कर रहे हैं। इसमें आरजेडी, जेडीयू और सपा समेत कई राजनीतिक पार्टियां शामिल हैं। केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना कराने की विपक्ष की मांग के मंजूर करने के पक्ष में नहीं है।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital