19 साल के प्रवासी मजदूर की भूख से मौत, मानवाधिकार आयोग का सरकार को नोटिस

19 साल के प्रवासी मजदूर की भूख से मौत, मानवाधिकार आयोग का सरकार को नोटिस

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक 19 वर्षीय प्रवासी मजदूर की भूख से मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, विपिन कुमार नामक 19 वर्षीय प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान अपने घर जाने के लिए पंजाब के लुधियाना से पैदल चला था और 6 दिनों में उसने करीब 350 किलोमीटर की दूरी तय की थी। इस दौरान उसके पास खाने को कुछ न रहा और भूख से उसकी मौत हो गई।

मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को भेजे अपने नोटिस में इस घटना का उल्लेख करते हुए जबाव तलब किया है। प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार की तरफ से अलग अलग दावे सामने आते रहे लेकिन इसके बावजूद मृत प्रवासी मजदूर विपिन कुमार तक कोई सुविधा नहीं पहुंची।

हालाँकि किसी प्रवासी मजदूर की रास्ते में मौत का यह पहला मामला नहीं है। अपने घरो के लिए पैदल ही निकले कई प्रवासी मजदूरों को रास्ते में ही जान गंवानी पड़ी है। इसके अलावा अब प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई गई ट्रेनों को लेकर भी मामले सामने आ रहे हैं।

रेल मंत्रालय द्वारा प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई गई कई ट्रेने रास्ता भूल गयीं और दो दिन का सफर पूरा करने में 6-6 दिन लगा दिए। यह अपने आपमें एक अनोखा मामला है जब ट्रेने अपने रास्ते भूल गयीं और दूसरे इलाको में पहुँच गयीं।

ऐसा एक दो ट्रेनों के साथ नहीं हुआ बल्कि प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई गयीं 40 ट्रेने रास्ता भूल गयीं। एक श्रमिक ट्रेन महाराष्ट्र के वसई से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए चली लेकिन वह ओडिशा के राउरकेला पहुंच गयी। महाराष्ट्र के लोकमान्य टर्मिनल से 21 मई की रात एक ट्रेन पटना के लिए चली लेकिन वह पुरुलिया पहुंच गयी। वहीँ दरभंगा से चली एक ट्रेन का रूट भी बदलकर राउरकेला कर दिया गया। एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन बेंगलुरू से 1450 लोगों को लेकर उत्तर प्रदेश के बस्ती जा रही थी लेकिन यह गाज़ियाबाद पहुँच गई।

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