बिहार में इस नए नारे ने बढ़ाई नीतीश की मुश्किलें
पटना ब्यूरो। बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए जहाँ एक तरफ प्रचार जोर पकड़ रहा है वहीँ नीतीश सरकार से जनता की नाराज़गी अब ज़मीन पर साफ़ दिखने लगी है।
जनता दल यूनाइटेड की सभाओं में लग रहे एक नारे ने न सिर्फ जनता दल यूनाइटेड बल्कि बीजेपी को भी टेंशन में डाल दिया है। वहीँ यह नया नारा राष्ट्रीय जनता दल और महागठबंधन में शामिल दलों के लिए राहत देने वाला है।
बिहार में नीतीश सरकार से नाराज़ मतदाताओं के बीच राजस्थान चुनाव की तर्ज पर “पीएम मोदी से बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं” का नारा जोर पकड़ रहा है। कई इलाको जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार वोट मांगने पहुंचे तो वहां लोगों ने इसी नारे से जदयू प्रत्याशी का स्वागत किया।
इतना ही नहीं कई इलाको में जनता के विरोध के बीच जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवारों को उलटे पैर वापस लौटना पड़ा है। सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा अब ज़मीन पर दिखाई देने लगा है। कई इलाको में जदयू के विधायकों से गांव के लोगों ने पांच साल तक गांव में न आने का कारण पूछा तो कहीं लोग पांच साल का हिसाब मांग रहे हैं।
नए नारे से बीजेपी को भी टेंशन:
बिहार में जनता द्वारा चलाये जा रहे नए नारे से बीजेपी भी टेंशन में हैं। राज्य में पहले ही पार्टी के बागियों से जूझ रही बीजेपी को कई सीटों पर अपनी ही पार्टी के लोगों से कड़ी चुनौती मिल रही है। राज्य में बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में यदि जनता का गुस्सा जेडीयू पर निकलता है तो उसका असर बीजेपी पर भी पड़ना तय है।
चुनाव में जनता दल यूनाइटेड की जितनी सीटें कम होंगी जदयू-बीजेपी सत्ता से उतने ही दूर होते चले जाएंगे। जिन सीटों पर जनता दल यूनाइटेड की हार होगी वहां कोई न कोई गैर एनडीए दल का उम्मीदवार ही चुनाव जीतेगा। ऐसे में सरकार के प्रति मतदाताओं का गुस्सा सिर्फ जेडीयू के लिए ही नहीं बीजेपी के लिए भी खतरे की घंटी है।
जदयू का विरोध मतलब महागठबंधन की उम्मीदें:
चुनाव विश्लेषकों की माने तो मतदान की तारीख आते आते जनता दल यूनाइटेड का जितना विरोध बढ़ेगा, महागठबंधन की उम्मीदें उतनी ही प्रवल होती जाएंगी। जिस तरह पिछले एक सप्ताह में जनता के बीच नीतीश सरकार के खिलाफ आक्रोश देखने को मिला है, उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि दूसरे चरण के मतदान तक चुनावी हवा रुख बदल सकती है।