नेताजी की जयंती पर ममता ने दिखाई ताकत, पैदल मार्च का किया नेतृत्व

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125विन जयंती पर भारतीय जनता पार्टी और त्रणमूल कांग्रेस दोनों ने ही कई कार्यकर्मो का आयोजन किया है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने म बाज़ार से रेड रोड तक मार्च का नेतृत्व किया। इस मार्च में भारी तादाद में उमड़ी भीड़ के आगे ममता बनर्जी चल रही थीं। मार्च के दौरान ममता बनर्जी ने सड़क के किनारे खड़े लोगों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने रेड रोड में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ममता बनर्जी ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक वीर योद्धा ही नहीं थे। उन्होंने अंडमान में जाकर शहीद द्वीप एवं स्वराज्य द्वीप पर तिरंगा फहराया था। उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी. वह देश के सच्चे सपूत थे।
उन्होंने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि आज इतिहास को बदलने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास को भूल जाने से काम नहीं चलेगा। इतिहास नये सिरे से नहीं लिखा जाता। इतिहास को समझना पड़ता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस हमारे आवेग हैं, हमारे चिंतन, मनन, दर्शन हैं।
केंद्र सरकार पर हमला करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर राष्ट्रीय छुट्टी घोषित करना ही होगा। उन्होंने कहा कि बंगाल कभी शीश नहीं झुकायेगा, बंगाल सिर ऊंचा करके चलना जानता है ।
ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल से स्वतंत्रता संग्राम का सूत्रपात हुआ था। 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम बंगाल से शुरू हुआ था। मंगल पांडेय ने बैरकपुर में इसका आगाज किया। नेताजी की लड़ाई से अंग्रेज भयभीत हो गये थे, इसलिए उन्हें हटा दिया गया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने योजना आयोग की स्थापना की थी। इस सरकार ने उसे खत्म करके नीति आयोग बना दिया. नीति आयोग बना सकते थे, लेकिन इसके लिए प्लानिंग कमीशन को खत्म करने की क्या जरूरत थी।
ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र और राज्य के संबंध खत्म हो गये हैं. केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें बात नहीं कर पातीं। पहले हम अपने अधिकारियों के साथ योजना आयोग के दफ्तर में जाते थे। अपनी योजनाओं के बारे में उनसे चर्चा करते थे। आज वो माहौल नहीं है। केंद्र-राज्य सहयोग खत्म हो रहा है। दोनों के बीच का संवाद खत्म हो रहा है।
ममता बनर्जी ने कोलकाता को भारत की एक राजधानी बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में कोलकाता ही देश की राजधानी होती थी। दिल्ली में क्या है? दिल्ली में तो अधिकतर बाहरी लोग रहते हैं। हालांकि, वहां के लोग अच्छे हैं। वहां का मुख्यमंत्री अरविंद भी अच्छा है। उसे भी केंद्र सरकार काम नहीं करने दे रही।