मध्यप्रदेश: विधानसभा अध्यक्ष ने सभी बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किये
भोपाल ब्यूरो। मध्य प्रदेश आज (शुक्रवार) को विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने 10 मार्च को इस्तीफा देने वाले बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं।
विधानसभा स्पीकर प्रजापति ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि 10 मार्च को विधानसभा से इस्तीफा देने वाले सभी 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं।
इससे पहले खबर आयी थी कि बेंगलुरु में रुके बागी विधायकों को भोपाल वापस लाये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। कमलनाथ सरकार में मंत्री पीसी शर्मा ने खुद इस बात करते हुए कहा था कि हम कल विधानसभा में अपनी गिनती सिद्ध करेंगे। 16 विधायकों को लाने का प्रयास अभी किया जा रहा है।
इससे पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किसी भी परिस्थिति में बागी विधायकों के सहयोग से शिवराज सिंह चौहान के दोबारा सत्ता में आने से साफ इनकार किया था। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वे शिवराज की किसी भी गुगली से बोल्ड नहीं होने जा रहे हैं।
इस बीच खबर है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ आज (शुक्रवार) दोपहर 12 बजे एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करेंगे। इस प्रेस कांफ्रेंस को लेकर अभी से कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि सीएम कमलनाथ इस दौरान मीडियाकर्मियों को किसी बड़े फैसले की जानकारी दे सकते हैं। कहा जा रहा है कि 16 बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किये जाने के बाद कमलनाथ सरकार के सारे ऑप्शन खत्म हो चुके हैं।
इससे पहले गुरूवार को सुप्रीमकोर्ट ने अपने फैसले में एमपी विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापित को आदेश दिया कि वे विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं और इस सत्र में फ्लोर टेस्ट करावाया जाए। अदालत ने 20 मार्च को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है।
फ्लोर टेस्ट के लिए कांग्रेस ने अपने विधायकों को व्हिप जारी किया है। इन विधायकों को 20 मार्च को अनिवार्य तौर पर सदन में रहने के लिए कहा गया है, साथ ही निर्देश दिया गया है कि विधायक बहुमत के प्रस्ताव पर वोट करें। इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि यदि फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस्तीफा देना होता तो पार्टी विधायकों को व्हिप जारी करने की क्या आवश्यकता है।
क्या है विधानसभा का गणित:
230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में दो सदस्यों के निधन के कारण इस समय सदस्यों की संख्या 228 है। इसमें 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किये जाने के बाद सदन में सदस्यों की संख्या 206 रह जाती है। यानि कि बहुमत के लिए 104 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता पड़ेगी।
बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद अब कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 92 रह गई है। उसे चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा के विधायक का भी समर्थन प्राप्त है। सबको मिलाकर कांग्रेस के विधायकों की तादाद 99 हो जाती है,वहीँ बीजेपी के दो विधायक जो कि मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात कर चुके हैं, यदि उन्हें भी मिला लिया जाए तो भी कांग्रेस के विधायकों की तादाद 101 होती है और वह बहुमत से 03 विधायक दूर है। बीजेपी के विधायकों की संख्या107 है जो बहुमत से अधिक है।
ऐसे में कमलनाथ सरकार के पास दो ही रास्ते हैं, या तो बीजेपी के दो विधायकों की तरह कम से कम 5 और बीजेपी विधायक सदन में विश्वासमत के दौरान सरकार के पक्ष में मतदान करें या बहुमत परीक्षण से पहले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने पद से इस्तीफा दे दें।