राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को मोदी कैबिनेट की मंजूरी, पढ़िए- कैसे होगी जनगणना
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के लिए मोदी केबिनेट ने आज 3,941.35 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है। सरकार की तरफ से यह भी स्पष्ट किया गया है कि एनपीआर में नाम दर्ज कराने के लिए किसी प्रमाणपत्र या कागज की ज़रूरत नहीं है। एनपीआर में नाम जुड़वाने के लिए किसी दस्तावेज की मांग नहीं की जाएगी।
कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि एनपीआर का एनआरसी (राष्ट्रीयकता नागरिकता रजिस्टर) से कोई लेना-देना नहीं है। एनपीआर के आधार पर एनआरसी तैयार करने का भी सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है।
उन्होंने कहा कि स्वघोषणा आधारित सूचीकरण के तहत लोग जैसा बताएंगे, उसी के अनुसार उनका नाम सूची में शामिल कर दिया गाएगा। एनपीआर में हर सामान्य निवासी का नाम सूचीबद्ध किया जाएगा। एनपीआर को अपडेट करने की प्रक्रिया अगले साल अप्रैल में शुरू हो सकती है।
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सर्वे के समय कर्मचारी के सामने निवासी जो बताएंगे, उसी को सही मानकर दर्ज कर लिया जाएगा। जावड़ेकर ने कहा कि सरकार निवासियों पर विश्वास करती है। वे जो भी कहेंगे, वह सच होगा।
पहले कब हुई थी जनगणना:
राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के लिए 2010 में 2011 की जनगणना में घरों को सूचीबद्ध करने के चरण के साथ आंकड़े एकत्रित किये गये थे। वर्ष 2015 में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया गया और इन आंकड़ों का नवीनीकरण किया गया। संशोधित जानकारी को डिजिटल तरीके से संग्रहित करने का काम पूरा कर लिया गया है। महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट के अनुसार अब 2021 की जनगणना के घरों को सूचीबद्ध करने के चरण के साथ अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का निर्णय लिया गया है।
क्या है एनपीए:
एनपीआर देश के ‘सामान्य निवासियों’ की सूची है। एनपीआर के उद्देश्य से ‘सामान्य निवासी’ को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी क्षेत्र में पिछले छह महीने या अधिक समय से निवास कर रहा हो या ऐसा व्यक्ति जो उस इलाके में अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक रहना चाहता है।