वित्त मंत्री जी, लॉकडाउन में काम धंधे बंद तो मिडिल क्लास परिवारों की कैसे चलेगी आजीविका
नई दिल्ली(राजा ज़ैद)। देश में कोरोना संक्रमण के चलते 21 दिन के लॉकआउट से छोटे कारोबारी और निजी कंपनियों में काम करने वाले मिडिल क्लास परिवारों की हालत सख्त हो चुकी है।
मिडिल क्लास को राहत के नाम पर सरकार ने ऑटो और हाउसिंग लोन की ईएमआई तीन महीने तक टालने का एलान किया है लेकिन ये भी बैंको की मर्ज़ी पर निर्भर करेगा कि वे ऑटो लोन और हाउसिंग लोन की ईएमआई अपने ग्राहकों से न मांगें।
वहीँ यदि बैंक इस बात से सहमत हो जाती हैं कि वे हाउसिंग लोन और ऑटो लोन की ईएमआई को तीन महीने आगे बढ़ा लेकिन लेकिन इससे व्यक्ति तौर पर फायदा मध्यम वर्ग के सिर्फ उन्ही लोगों को होगा जिन्होंने हाउसिंग या ऑटो लोन ले रखा है।
मध्यम वर्ग के जिन परिवारों ने कोई लोन नहीं लिया या जो बैंको के लोन की किसी स्कीम में फिट नहीं बैठते, जो किराये के घरो में रहते हैं। उनके लिए सरकार की तरफ से किसी तरह की राहत का एलान नहीं किया गया है।
चूँकि लॉकआउट के दौरान 21 दिनों तक छोटे कारोबारी घर बैठेंगे, वहीँ निजी छोटी कंपनियों या दुकानों पर काम करने वाले मध्यम वर्ग को कम्पनी या मालिक वेतन नहीं देंगे तो वे घर का किराया कहाँ से देंगे? परिवार को चलाने के लिए पैसा कहाँ से आएगा ? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनपर सरकार ने कोई गौर नहीं किया।
सरकार ने राहत के नाम पर किसानो, बीपीएल कार्ड धारको के लिए तो राहत की बात की है। वहीँ बड़े कारोबारियों के लिए बैंको के पास कई योजनाएं मौजूद हैं और बड़े कारोबारी बैंक से क़र्ज़ उठा सकते हैं लेकिन बीपीएल श्रेणी और बड़े उधोगपतियों के बीच में फंसा मध्यम वर्ग अभी यह तय नहीं कर पा रहा है कि 21 दिनों तक घर पर बैठने से होने वाले घाटे की भरपाई कैसे होगी ?
वैसे भी इस देश में जो योजनाएं बनती हैं वे या तो बेहद कम आय वर्ग के लिए बनती हैं या बड़े कारोबारियों के लिए। मध्यम वर्ग तो पहले से ही पिसा हुआ है। सरकार किसी की भी नज़रअंदाज मध्यमवर्ग को ही किया जाता है।
फिलहाल यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना के कहर को देखते हुए ज़रूरी नहीं कि 14 अप्रेल रात 12 के बाद लॉकआउट खत्म हो जाएगा। लॉकआउट की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। जिस तरह से कोरोना के मरीजों की तादाद में बढ़ोत्तरी हो रही है उसको देखते हुए जानकारों का कहना है कि लॉकआउट की अवधि पूरे अप्रेल या उससे आगे भी बढ़ाई जा सकती है।
यदि लॉकआउट की अवधि बढ़ाई गई तो देशबन्दी मध्यम वर्ग के लिए बड़ी आर्थिक सुनामी जैसा होगा। जिसका प्रभाव कई महीनो तक मध्यम वर्ग को झेलना पड़ेगा। मध्यम वर्ग के परिवारों की सबसे बड़ी मुश्किल आमदनी पर ब्रेक लगना है।
लॉकआउट में कारोबार बंद हैं,आमदनी का कोई जरिया नहीं है। वहीँ परिवारों के खाने का खर्च, मकान का किराया, बिजली का बिल तो हर हाल में करना ही होगा। वहीँ जिन परिवारों ने अपनी ज़रूरतों के चलते साहूकारों से व्याज पर क़र्ज़ लिया है, सबसे बड़ी मुसीबत उनकी है। वे अपने क़र्ज़ का व्याज कैसे भरेंगे।
फिलहाल ज़रूरत है कि सरकार मध्यम वर्ग का ध्यान रखते हुए उनके लिए कोई ऐसा पॅकेज जारी करे। जिसमें मध्यम वर्ग के हर परिवार को प्रतिव्यक्ति कम से कम पांच हज़ार रुपये की मदद मिल सके। यदि सरकार मध्यम वर्ग के लिए किसी पॅकेज का एलान नहीं करती तो आने वाले दिनों में हर मिडिल क्लास परिवार को आजीविका चलाने में बड़ी दिक्क्तें झेलनी पड़ सकती हैं।