कृष्ण जन्मभूमि परिसर से ईदगाह मस्जिद हटाए जाने की मांग वाली याचिका ख़ारिज

कृष्ण जन्मभूमि परिसर से ईदगाह मस्जिद हटाए जाने की मांग वाली याचिका ख़ारिज

मथुरा। मथुरा की एक स्थानीय अदालत ने कृष्ण जन्मभूमि परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद हटाए जाने की मांग वाली याचिका ख़ारिज कर दी है। बीते सोमवार को दायर की गई इस याचिका में शाही ईदगाह मस्जिद की 3.37 एकड़ जमीन को श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने की मांग की गई थी।

यह याचिका सोमवार को मथुरा के सिविल कोर्ट में लिस्‍टेड हुई थी। सोमवार को कोर्ट को यह तय करना था कि इस याचिका को स्‍वीकार किया जाए या नहीं, लेकिन सुनवाई को 30 सितंबर तक के लिए टाल दिया गया।

बुधवार को अदालत ने इस याचिका पर दोनों पक्षों के वकीलों की बहस सुनने के बाद इस याचिका को खारिज करने का आदेश सुनाया। इस याचिका में 13.37 एकड़ जमीन पर 1973 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद के बीच हुए समझौते और उसके बाद की गई न्यायिक निर्णय (डिक्री) को रद्द करने की मांग की गई थी।

दरअसल यह याचिका में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ थी। इस एक्ट के जरिये विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमेबाजी को लेकर मालकिना हक पर मुकदमे में छूट दी गई थी लेकिन, मथुरा-काशी समेत सभी धार्मिक या आस्था स्थलों के विवादों पर मुकदमेबाजी से रोक दिया गया था।

अयोध्या की तरह मथुरा में भी एक्टिव हुए थे हिन्दू संगठन:

मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाए जाने के लिए अयोध्या की तर्ज पर ही मथुरा में भी हिन्दू संगठन एक्टिव हुए थे। इस मामले में हिन्दू संगठनो से जुड़े नेताओं के बयान भी सामने आये हैं। हिन्दू संगठनों से जुड़े नेताओं ने लगे हाथ मुसलमानो के नाम अपील भी जारी कर दी जिसमे कहा गया कि मुसलमान बड़ा दिल दिखाते हुए शाही ईदगाह मस्जिद को कहीं और बना लें।

काशी विद्वत परिषद के पश्चिम क्षेत्र के प्रभारी नागेंद्र महाराज ने एक बैठक में कहा कि अयोध्या तो झांकी थी मथुरा-काशी बाकी है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में बहुत बड़ा विवाद था, लेकिन मथुरा और काशी में कोई बड़ा विवाद नहीं है। जिस तरह से अयोध्या में न्यायालय ने जो फैसला सुनाया है, उसी आधार पर सहमति बन जानी चाहिए।

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