बंगाल में इसलिए कांग्रेस से गठबंधन नहीं कर पा रहीं ममता बनर्जी

बंगाल में इसलिए कांग्रेस से गठबंधन नहीं कर पा रहीं ममता बनर्जी

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की नेता और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस का साथ अवश्य चाहती है लेकिन वह गठबंधन को लेकर अभी तक अंतिम राय कायम नहीं कर पाई है।

वहीँ राज्य में गठबंधन को लेकर कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ बातचीत कर रही है। हालांकि ममता बनर्जी के कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से रिश्ते बेहद मधुर हैं और यदि दोनों नेता चाहें तो गठबंधन पर बात बन सकती है।

पार्टी सूत्रों की माने तो ममता बनर्जी और सोनिया गांधी के बीच पश्चिम बंगाल के चुनाव को लेकर बातचीत अवश्य हुई है लेकिन फ़िलहाल सोनिया गांधी ने बंगाल अपने पार्टी विधायकों की राय लेकर जबाव देने को कहा है।

दरअसल पश्चिम बंगाल में प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष और सांसद अधीर रंजन चौधरी पहले से ही ममता बनर्जी के धुर विरोधी माने जाते हैं। ऐसे में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के गठबंधन के बीच बड़ा रोड़ा अधीर रंजन चौधरी को माना जा रहा है।

अधीर रंजन चौधरी की वामपंथियों के साथ नजदीकियों के चलते बंगाल में अधिकांश कांग्रेस विधायक भी वामदलों के साथ गठबंधन की बात कह रहे हैं। इसके पीछे विधायकों का तर्क है कि वे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ लड़ते रहे हैं। इसलिए यदि कांग्रेस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करती है तो इसका गलत संदेश जनता में जायेगा।

294 सदस्यों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के 221 विधायक हैं। 2016 में कांग्रेस ने 47 सीटें जीती थीं लेकिन विधायकों के पाला बदलने के बाद अब सदन में कांग्रेस के के विधायकों की सनंख्या 23 बची है और वामदलों के विधायकों की संख्या 24 है। जबकि बीजेपी विधायकों की संख्या 16 है।

जानकारों की माने तो 2016 की बीजेपी और आज की बीजेपी में बहुत फर्क आ चूका है। मोदी सरकार के केंद्र में सत्ता संभालने के बाद से बीजेपी की रीड की हड्डी कहे जाने वाला आरएसएस पश्चिम बंगाल में तेजी से सक्रिय हुआ है। ऐसे में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में यदि सेकुलर वोटों का विभाजन होता है तो उसका सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा।

सेकुलर वोटों के विभाजन का लाभ बीजेपी को मिलने के खतरे को भांपते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चाहती हैं कि मतो का विभाजन कम से कम हो लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि ममता बनर्जी को वामदलों या कांग्रेस में से कम से कम एक पार्टी से हाथ मिलाना पड़ेगा।

वहीँ अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल के विधायकों के साथ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल के प्रभारी जितिन प्रसाद की वर्चुअल बैठक में पश्चिम बंगाल में गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा अवश्य हुई थी लेकिन बैठक में शामिल हुए 22 विधायकों ने वामपंथी दलों से गठबंधन की राय रखी थी।

हालाँकि पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राज्य में गठबंधन करने का एकाधिकार पार्टी हाईकमान को दिया है लेकिन यह भी साफ़ है कि ममता बनर्जी और सोनिया गांधी के करीबी रिश्तो के बावजूद यदि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की डोर अधीर रंजन चौधरी के हाथ में रहते हुए कांग्रेस का तृणमूल कांग्रेस से किसी तरह का गठबंधन मुमकिन नहीं है।

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TeamDigital