तेलंगाना के सीएम ने कहा ‘मेरे पास मेरा जन्म प्रमाणपत्र नहीं, तो दलित, आदिवासी कहाँ से लाएंगे’
नई दिल्ली। तेलंगाना में एक अप्रेल से एनपीआर की प्रक्रिया शुरू होनी है। इस बीच नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के नए प्रारूप पर आश्चर्य जताते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कहा कि ‘जब मेरे खुद के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो मैं अपने पिता का प्रमाणपत्र कहां से लाऊंगा।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि “यह मेरे लिए भी चिंता की बात है। मैं गांव में अपने घर पर पैदा हुआ था। उस समय गाँव में कोई अस्पताल नहीं था। गांव के बुजुर्ग ही ‘जन्मनामा’ लिखते थे, जिस पर कोई आधिकारिक मुहर नहीं होती थी।”
उन्होंने कहा कि जब मैं पैदा हुआ था, हमारे पास 580 एकड़ जमीन थी और एक इमारत भी थी। उन्होंने चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि “जब मैं अपना जन्म प्रमाणपत्र पेश नहीं कर पा रहा तो दलित, आदिवासी और गरीब लोग कहां से जन्म प्रमाणपत्र लाएंगे।”
तेलंगाना विधानसभा में एनपीआर के मुद्दे पर बोलते हुए मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कहा कि उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति की अपनी कुछ प्राथमिकताएं और सिद्धांत हैं, जिनसे वह कभी समझौता नहीं करेंगे।
नागरिक संशोधन कानून (सीएए) को लेकर राव ने कहा कि ये भारतीय संविधान के मूल सिद्धांत के ही खिलाफ है। जिसमे संविधान सभी नागरिकों को उनकी जाति, धर्म और पंथ से इतर समान व्यवहार करने का वादा करता है। उन्होंने कहा, “कोई भी सभ्य समाज एक ऐसे कानून को स्वीकार नहीं करेगा, जो एक धर्म विशेष के लोगों को बाहर रखता हो।”
राव ने कहा कि ऐसे कानून के कारण देश सम्मान खो रहा है। राव ने कहा, “हम इस देश का हिस्सा हैं और हम अपनी सीमा में रहकर जो कर सकते हैं, वो करेंगे और किसी से भी नहीं डरेंगे।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर पूरी तरह से बहस करने के बाद संकल्प पारित करेगा, ताकि पूरे देश को इस मामले में एक मजबूत संदेश दिया जा सके। उन्होंने कहा कि यह मामला देश के भविष्य, इसके संविधान और दुनिया में उसके कद से जुड़ा हुआ है।