क्या मणिपुर की तरह मध्य प्रदेश में रिवर्स स्विंग की तैयारी कर चुके हैं कमलनाथ

क्या मणिपुर की तरह मध्य प्रदेश में रिवर्स स्विंग की तैयारी कर चुके हैं कमलनाथ

भोपाल ब्यूरो। 2017 के मणिपुर विधानसभा चुनाव में ज़्यादा सीटें जीतने के बाद भी कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी थी। 28 विधायकों के साथ कांग्रेस नंबर वन पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि, बीजेपी के पास 21 विधायक थे लेकिन बाद में बीजेपी सभी गैर कांग्रेसी विधायकों को एकजुट कर सरकार बनाने में सफल रही थी।

अब मणिपुर में रिवर्स स्विंग से कांग्रेस एक बार फिर राज्य में सरकार बनाने के करीब है। मणिपुर में बीजेपी के तीन विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने तथा एक निर्दलीय विधायक समेत कुल 6 अन्य विधायकों द्वारा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद राज्य की बीजेपी की गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गई है।

अब मध्य प्रदेश को लेकर चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। कहा जा रहा है कि कमलनाथ अपने रिवर्स स्विंग से सत्ता में वापसी करने जा रहे हैं। शुक्रवार को राज्य सभा की तीन सीटों के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भले ही दो सीटें जीत ली हों लेकिन एक बाद चौकाने वाली सामने आई है।

राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 92 विधायक हैं, इसके बावजूद कांग्रेस को 93 वोट मिले हैं। शुक्रवार को राज्य सभा चुनाव के लिए मतदान से पहले कमलनाथ ने एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में कहा कि बीजेपी 2 सीट अपने बल पर नहीं, सौदे के बल पर जीतेगी। सौदे में माहिर ये लोग राजनीतिक व्यापारी हैं। बीजेपी सौदेबाज़ी नहीं करती तो हम दोनों सीटें जीतते। बीजेपी उपचुनाव की चिंता करे, हम 22 सीटें जीतें और हो सकता है कि जो हालत है उस हिसाब से 24 सीटें भी जीत सकते हैं।

वहीँ सूत्रों की माने तो कमलनाथ उपचुनाव से पहले ही बीजेपी को पटखनी देने की तैयारी में हैं। सूत्रों ने कहा कि अभी तक कमलनाथ और कांग्रेस के बड़े नेता राज्य सभा चुनाव में लगे हुए थे। पार्टी के नेताओं को डर था कि बीजेपी तीन सीटें जीतने के लिए बड़े स्तर पर कोई षड्यंत्र न रचे। इसलिए सभी विधायकों से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह लगातार संपर्क बनाये हुए थे।

वहीँ अब सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए पूर्व विधायकों को अपनी उम्मीदें पूरी नहीं होती दिख रहीं। उन्हें लगता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन से सिंधिया को तो राज्य सभा मिल गई और वे मंत्री भी बन जाएंगे लेकिन उन्हें उपचुनाव में बीजेपी टिकिट भी देगी या नहीं इस पर अभी कुछ कह पाना मुश्किल है।

सूत्रों ने कहा कि कमलनाथ जिस भरोसे के साथ उपचुनाव में 20 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं, उससे लगता है कि सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों को टिकिट न मिलने की दशा में कमलनाथ ने उनके लिए रास्ता खुला रखा है। जिससे उन्ही पूर्व विधायकों को सिंधिया के खिलाफ चुनाव प्रचार में लगाया जा सके।

हालांकि सूत्रों ने यह भी कहा कि ज़रूरी नहीं कि कमलनाथ उपचुनावों का इंतजार करें, कांग्रेस- बीजेपी के विधायकों के संख्याबल में बहुत अधिक अंतर् नहीं है, इसलिए सम्भव है कि कमलनाथ अपना खेल पहले भी खेल सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि दीपक जोशी तथा दो अन्य बीजेपी विधायक इस खेल के सूत्रधार बन सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि राज्य सभा चुनाव से पहले गुजरात में 8 विधायकों के इस्तीफे के बाद ही पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इस बार के संकेत दे दिए थे कि पार्टी अब बीजेपी के इस्तीफा कल्चर से उसी तरह निपटेगी।

गौरलब है कि कर्नाटक में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफ़ो के बाद राज्य की जेडीएस-कांग्रेस सरकार गिराकर बीजेपी ने अपनी सरकार बनाई, मध्य प्रदेश में भी बीजेपी ने यही खेल खेला, इसके बाद राज्य सभा की सीट के लिए बीजेपी ने गुजरात में भी कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे कराये। इन सब घटनाओं से पार्टी ने सबक लिया है।

सूत्रों की माने तो राज्य सभा के लिए चुने जाने के बाद अब दिग्विजय सिंह उपचुनाव के लिए सक्रीय हो जायेंगे और उपचुनाव के लिए कांग्रेस की तैयारियां अब ज़मीन पर दिखने लगेगी।

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