अगला सप्ताह महत्वपूर्ण, कभी भी अल्पमत में आ सकती है हरियाणा सरकार
नई दिल्ली। किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा सरकार में शामिल जेजेपी पर अब दबाव बढ़ रहा है। हालांकि जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेता और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला अब तक यह कहते रहे हैं कि उन्हें एमएसपी को लेकर पीएम मोदी के आश्वासन पर भरोसा है लेकिन किसान आंदोलन के बीच फंसे दुष्यंत चौटाला पर अब पार्टी विधायक भी दबाव बना रहे हैं।
यही कारण है कि दुष्यंत चौटाला ने दिल्ली में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर से मुलाकात कर अपनी परेशानी बताई है। सूत्रों की माने तो इस बैठक में दुष्यंत चौटाला ने कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए भी केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत की है।
दुष्यंत चौटाला ने केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात के बाद कहा कि जब तक मैं हरियाणा सरकार में हूं, प्रत्येक किसान के लिए एमएसपी सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि किसान यूनियन और केंद्र के बीच आपसी सहमति है और हम इस मसले को बातचीत के ज़रिए सुलझा लेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले 28 से 40 घंटे में एक और बार बातचीत होगी और कुछ निर्णायक बयान सामने आ सकते हैं।
वहीँ दूसरी तरफ 12 दिसंबर को पार्टी विधायकों के साथ हुई बैठक के बाद दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि ‘हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि किसानों को एमएसपी मिलनी ही चाहिए। केंद्र सरकार ने जो लिखित प्रस्ताव दिए, उसमे एमएसपी शामिल है। मैं जब तक उपमुख्यमंत्री तब तक किसानों के लिए एमएसपी सुनिश्चित करने पर काम करूंगा। अगर मैं यह नहीं कर पाया तो इस्तीफा दे दूंगा।’
सूत्रों की माने तो किसान आंदोलन को लेकर जेजेपी विधायक भी अब नहीं चाहते के जेजेपी खट्टर सरकार में शामिल रहे। इसका अहम कारण पार्टी विधायकों पर खाप पंचायतो और किसान संगठनों का दबाव है। जेजेपी के पास दस विधायक है। दुष्यंत चौटाला को यह भी भय सता रहा है कि यदि समय रहते कृषि कानूनों का कोई हल नहीं निकला और इसके चलते विधायकों ने पाला बदल लिया तो पार्टी के लिए मुश्किल पैदा हो जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने अपने विधायकों को एक सप्ताह तक शांत रहने को कहा है। यदि एक सप्ताह में किसानो और केंद्र सरकार के बीच कृषि कानूनों पर कोई रास्ता नहीं निकलता तो एक सप्ताह बाद चौटाला यह फैसला लेंगे कि उन्हें किसानो के साथ जाना है यह सरकार के साथ।
यदि दुष्यंत चौटाला किसानो के साथ जाने का फैसला लेते हैं तो उन्हें उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार से समर्थन वापस लेना होगा। जिसके बाद हरियाणा की खट्टर सरकार अल्पमत में आ जाएगी।
90 विधानसभा सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में बहुमत के लिए 46 विधायकों की आवश्यकता होगी। इस समय विधानसभा की स्थिति देखें तो बीजेपी के पास 40 विधायक हैं और उसे जेजेपी के दस विधायकों और पांच निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्र्त है। जेजेपी के समर्थन वापस लेने की स्थिति में बीजेपी और निर्दलीय विधायकों की संख्या मिलकर 45 रह जाएगी। वहीँ कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या 31 है जबकि चार अन्य विधायक हैं। इनमे इंडियन नेशनल लोकदल का एक, एचएलपी का एक और अन्य दो विधायक निर्दलीय हैं। कुल मिलाकर मामला पेचीदा हो जायेगा।
फिलहाल नज़रें अगले सप्ताह पर टिकी हैं। किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से आ रहे बयानों से साफ़ है कि सरकार किसानो की मांग के मुताबिक कृषि कानून वापस लेने की इच्छुक नहीं है। दूसरी तरफ किसान भी कदम वापस खींचने को तैयार नहीं है और किसानो की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे देखना होगा कि किसानो के आंदोलन का अंत किस तरह होता है।