यूपी सरकार के मदरसों के सर्वेक्षण के फैसले सहित कई मुद्दों पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक
नई दिल्ली। जमीअत उलेमा-ए-हिन्द ने राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर एक बैठक की।
गोरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के बाद प्रदेश के सभी मदरसों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। योगी सरकार ने सभी जिलों संचालित हो रहे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की रिपोर्ट संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों से एक महीने के भीतर देने को कहा है.
इस मुद्दे पर जमीअत उलेमा-ए-हिन्द ने सरकार के फैसले पर नाराज़गी जताई है। बैठक में मौजूद जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार के पास मदरसों की स्थिति और उनमे दी जाने वाली शिक्षा की पूरी जानकारी है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में मौजूद लोगों के बीच तीन सहमतियां बनी। इनमे मदरसों के सर्वेक्ष्ण के मुद्दे पर प्रदेश सरकार से बातचीत, दूसरा मदरसों के मामलो को देखने के लिए एक अलग से स्टेरिंग कमेटी बनाई जाए और तीसरा लोगों को जागरूक किया जाए और बताया जाए कि मदरसे भी देश की संपत्ति हैं और मदरसों का किरदार देश की आज़ादी से लेकर आज तक अहम है।
मदरसों के मामले देखने के लिए बनी स्टेरिंग कमेटी:
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की आज संपन्न हुई बैठक में मदरसों से जुड़े मामले देखने के लिए एक स्टेरिंग कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी के सदस्यों के नाम का एलान कर दिया गया है। स्टेरिंग कमेटी में महूमद मदनी, अरशद मदनी, नियाज़ फ़ारूक़ी, हकीमुद्दीन क़ासमी, दारुल उलूम के मोहतमिम अबुल कासिम नोमानी समेत 12 लोग शामिल है। यह कमेटी मदरसों से जुड़े सभी मामलों को देखेगी।
वहीँ मदरसों के सर्वेक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेश पर अलीगढ के जिलाधिकारी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा, “उत्तर प्रदेश में जितने भी अपंजीकृत मदरसे चल रहे हैं उनमें सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूपों के मुताबिक जांच की जा रही है। जांच के बाद शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी जिस पर शासन कार्रवाई कर फैसला लेगी।”