संत समागम के नाम पर फिर भड़काऊ भाषण, महात्मा गांधी पर विवादित टिप्पणी
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के बीच प्रयागराज में आयोजित हिन्दू संत समागम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करने का मामला सामने आया है।
इतना ही नहीं संत समागम के नाम पर एक धर्म विशेष के लोगों के खिलाफ भाषण दिए गए तथा चेतावनी दी गई कि यदि हरिद्वार धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी यति नरसिंहानंद और वसीम रिज़वी उर्फ़ जितेंद्र त्यागी को रिहा नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन होगा।
इस संत समागम में पारित किये गए तीन प्रस्तावों में धर्मांतरण करने वालों को फांसी की सजा और हिंदुओं को 5 बच्चे पैदा करने की अपील की गई हैं। इतना ही नहीं भारत में हिन्दू धर्म के अनुयाइयों से भारत की जगह हिन्दू राष्ट्र लिखे जाने की अपील भी गई।
महामंडलेश्वर प्रभुदानंद महाराज ने अपने भड़काऊ भाषण में कहा कि जो भी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है और जो हिंदुओं का सम्मान नहीं कर सकते, उन्हें पाकिस्तान या फिर बांग्लादेश वापस चले जाना चाहिए।
संत समागम में शामिल हुए संत केसरी महाराज ने इस धर्म संसद से मुस्लिमों की जातियां गिनाते हुए कहा है कि 3 जगहों से फतवा जारी किए जाते हैं। ऐसे में उनकी भारत सरकार से मांग की है कि इन संस्थाओं को खत्म कर दिया जाए।
इस कार्यक्रम में मौजूद जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि हम अपने देवी-देवताओं से शिक्षा ग्रहण कर अपने हाथों में अस्त्र शस्त्र धारण करें। इसके साथ ही उन्होंने देश का रक्षा बजट बढ़ाने की भी अपील की और कहा कि देशद्रोहियों को गर्म तेल से स्नान करवाया जाना चाहिए। उन्होंने महात्मा गांधी को भी राष्ट्रपिता मानने से मना कर दिया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारत का पहला प्रधानमंत्री बताया।
गौरतलब है कि बीते वर्ष दिसंबर में उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित की गई धर्म संसद में भड़काऊ भाषण का मामला सामने आने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद और शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
हरिद्वार की इस कथित धर्म संसद के बाद छत्तीसगढ़ के रायपुर में धर्म संसद आयोजित की गई थी। इसमें बाबा कालीचरण द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ की गई अपमान जनक टिप्पणी मामले में कालीचरण महाराज के खिलाफ रायपुर और पुणे में एफआईआर दर्ज की गई थी। इन एफआईआर के आधार पर कालीचरण को गिरफ्तार कर लिया गया था।