धीमी पड़ी रफ्तार: कैग रिपोर्ट में खुलासा, 10 साल में सबसे बुरे हाल में पहुंची भारतीय रेलवे
नई दिल्ली। नियंत्रण एवं महालेखाकार (कैग) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कमाई के मामले में भारतीय रेलवे दस सालो में सबसे बुरे हाल में पहुँच गयी है। रेलवे का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष साल 2017-18 में 98.44 फीसदी तक पहुंच चुका है।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक घाटे का मुख्य कारण उच्च वृद्धि दर है। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2017-18 के वित्तीय वर्ष में 7.63 फीसदी संचालन व्यय की तुलना में उच्च वृद्धि दर 10.29 फीसदी था।
सोमवार को कैग रिपोर्ट संसद में पेश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे का यह परिचालन अनुपात एनटीपीसी और इरकॉन से अग्रिम भुगतान मिलने के कारण हासिल हो पाया है। अगर यह अग्रिम नहीं मिलता तो यह अनुपात 102.66 फीसदी होता। अग्रिम के बिना रेलवे 5676.29 करोड़ रुपये निगेटिव बैलेस में होती जबकि उसने 1665.61 करोड़ रुपये का सरप्लस बैलेंस दिखाया है।
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे यात्री और अन्य कोच सेवाओं से पूरा खर्च निकाल पाने में विफल रही है। इसी वजह से माल परिवहन का 95 फीसदी मुनाफा यात्री सेवाओं के परिचालन के घाटे की भरपाई में ही चला गया।
रिपोर्ट के मुताबिक यात्रियों को मिलने वाली रियायतों के असर की समीक्षा करने पर पता चलता है कि रियायतों का 89.7 फीसदी खर्च वरिष्ठ नागरिकों और प्रिविलेज पास एवं प्रिविलेज टिकट ऑर्डर धारकों पर होता है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि रियायतें खुद ही छोड़ने के लिए वरिष्ठ नागरिकों को प्रोत्साहित करने की स्कीम का भी कोई असर नहीं पड़ा है। यात्रा पास के दुरुपयोग और मेडिकल सर्टिफिकेट के जरिये रियायतों की मंजूरी देने में अनियमितताओं के भी काफी मामले सामने आए हैं।
सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट का कहना है कि रेलवे के वित्तीय खातों की समीक्षा से पता चला है कि उसके रेवेन्यू सरप्लस में कमी आ रही है। पूंजीगत व्यय में आंतरिक स्रोतों का अनुपात भी कम हो रहा है। नेट रेवेन्यू सरप्लस एक साल में 66.10 फीसदी घट गया।
इतना ही नहीं सरप्लस रेवेन्यू वित्त वर्ष 2016-17 के 4913 करोड़ रुपये से घटकर 1665.61 करोड़ रुपये रह गया। पूंजीगत व्यय में आंतरिक स्रोतों का हिस्सा 3.01 फीसदी घट गया। रेवेन्यू सरप्लस घटने और पूंजीगत व्यय में आंतरिक स्रोतों का अनुपात घटने के कारण रेलवे की निर्भरता बजट आवंटन और बजट अतिरिक्त स्रोतों पर बढ़ गई है।
वहीँ कैग रिपोर्ट में रेलवे की खराब हालत के लिए बीते दो सालों में आईबीआर-आईएफ के तहत जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल नहीं होना भी बताया है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि रेलवे को बाजार से मिले फंड का पूरी तरह इस्तेमाल सुनिश्चित करना चाहिए।