गहराई से: कृषि कानून वापस होने के एलान पर किसने क्या कहा ?
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तीन कृषि कानून वापस लेने का एलान किया। इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साढ़े ग्यारह महीने से अधिक समय से किसान आंदोलन कर रहे हैं।
पीएम मोदी द्वारा कृषि कानूनों के वापस लिए जाने को लेकर किये गए एलान पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि 700 से अधिक किसान परिवारों के सदस्यों ने न्याय के लिए इस संघर्ष में अपनी जान गवाई, आज उनका बलिदान रंग लाया है। आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई है।
3 कृषि कानूनों के रद्द होने पर राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि देश की जनता सब समझ रही है कि ये सब वोट लेने के लिए किया जा रहा है, आने वाले चुनाव में सभी जनता इनके ख़िलाफ़ वोट देगी।
शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इन तीन काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ 1.5 साल की लड़ाई के बाद किसानों को जीत मिली है। आज उन 800 किसानों को याद करने का दिन है जिन्होंने इन क़ानूनों की वापसी के लिए अपनी जान गवाई। हम उनके बलिदान को कभी नहीं भूल पाएंगे।
वहीँ शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि आज प्रकाश पर्व पर परमात्मा की बड़ी कृपा बरसी कि आज किसानों का संघर्ष सफल हुआ है मैं इसके लिए उन्हें बधाई देता हूं।
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पीएम मोदी ने आज तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है और उन्होंने बहुत स्पष्टता के साथ अपनी बातें रखीं और बाकी जिसे बोलने का मन है वो बोलते रहें, सबको अपनी बात बोलने का अधिकार है तो वो बोलते।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर ने कहा कि जो कृषि कानून बिल पास किया गया था वो किसानों के हित में था लेकिन कुछ किसान नेताओं ने ऐतराज जताया इसलिए आज पीएम मोदी ने बड़े हृदय से उन कानूनों को वापस लिया है और जैसे ही लोकसभा का सत्र शुरू होगा वैसे ही इसे विधिवत तौर पर संसद में रखकर वापस लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमने किसानों से अपील की कि वो अपने धरने को समाप्त कर बॉर्डर को खाली कर दें। जहां तक MSP की बात है तो इसके लिए भी PM ने पहल करके कहा है कि एक कमेटी बनाई जाएगी और इस कमेटी में केंद्र और प्रदेश सरकार के लोग, कृषि वैज्ञानिक आदि लोग इस पर सार्थक निर्णय लेंगे।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि एक नया अध्याय शुरू होने वाला है इस जीत का श्रेय कोई भी लेने की कोशिश न करें क्योंकि इस जीत का सारा श्रेय संयुक्त किसान मोर्चा के सत्याग्रह को जाता है। उन्हें बहुत बदनाम करने की कोशिश की गई लेकिन वो डटे रहे।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि देर से ही सही पर दुरस्त आए हैं। प्रधानमंत्री का आभार है और किसानों को बधाई है। यह किसानों के संघर्ष के कारण हुआ है। बाकी बातें भी हैं, बैठकर उसका भी समाधान निकालना चाहिए।
वहीँ संयुक्त किसान मोर्चे के सदस्य दर्शन पाल सिंह ने कहा कि हम प्रधानमंत्री के निर्णय का स्वागत करते हैं लेकिन इसका श्रेय किसान संगठन, किसान आंदोलन और संयुक्त किसान मोर्चा को जाता है। मैं किसानों को बधाई देता हूं। हमारा संघर्ष जारी रहेगा। एक दो-दिन में हम संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक बुलाएंगे उसमें फ़ैसला लेंगे।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कहा कि खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कृषि क़ानून किसानों के ख़िलाफ़ थे, उन्हें वापस लिया है और माफी भी किसानों से मांगी है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का धन्यवाद करता हूं। इससे ज़्यादा कोई कुछ नहीं कर सकता।
आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार ने कृषि क़ानूनों को रद्द करने का फ़ैसला देरी से लिया है। यह किसान आंदोलन और किसानों की सफलता है। चुनाव में जाना था इसलिए केंद्र सरकार ने यह फ़ैसला लिया है। वह दिन भी दूर नहीं है, जब मोदी सरकार CAA का क़ानून भी वापस लेगी।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि 3 कृषि क़ानून किसान हित में तो वापस हुए ही हैं लेकिन सरकार चुनाव से डर गई और वोट के लिए क़ानून वापस लिए हैं… हो सकता है कि सरकार चुनाव के बाद फिर से ऐसा कोई क़ानून लेकर आए। यह भरोसा कौन दिलाएगा कि भविष्य में ऐसे क़ानून नहीं आएंगे जिससे किसान संकट में आए?
कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने कहा कि मुझे खुशी है कि यह सरकार समझ गई है कि इस देश में किसानों से बढ़ा कोई नहीं है। इस देश में एक सरकार अगर किसानों को कुचलने की कोशिश करती है और किसान खड़ा हो जाता है तो सरकार को अंत में झुकना ही पड़ेगा। यह सरकार समझ गई है।
वहीँ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब किसान संगठन 3 कृषि क़ानून के विरोध में आए थे तब सरकार ने हर स्तर पर संवाद का प्रयास किया, हो सकता है कि हमारे स्तर पर कमी रही हो कि हमने अपनी बात उन किसानों को समझाने में कहीं न कहीं विफल रहे जिसके कारण उनको आंदोलन का रास्ता लेना पड़ा।
किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक तीनों कृषि क़ानून संसद में वापस नहीं होते हैं तब तक किसान वहीं पर है। यह किसानों की जीत है। इस जीत का श्रेय उन 700 किसानों को जाता है, जिनकी एक साल के अंदर मृत्यु हुई। यह संघर्ष और लंबा चलेगा और जारी रहेगा।
महाराष्ट्र के पालघर में टिकैत ने कहा कि कृषि कानून वापस लेने की जो भी कार्यवाही है (कृषि क़ानून वापस लेने की) उसको संसद में पूरा किया जाए। आज संयुक्त किसान मौर्चा की बैठक है, उसमें सारी चीज़ें तय होगीं। हमारी एक कमेटी बनेगी जो अलग-अलग मुद्दों पर भारत सरकार से बात करेगी।