पढ़िए: इटली की सेल्विया रोमानो के आयशा बनने बाद क्यों हुआ स्वागत
नई दिल्ली। 18 महीने तक बंधक रहने के बाद जब सेल्विया रोमानो आज़ाद हुईं तो उनकी सोच बदल गई। सेल्विया को सोमालिया में चरमपंथियों ने बंधक बनाकर रखा था। अपहरण के बाद उन्हें आतंकवादी संगठन “ अश्शबाब “ के हावाले कर दिया गया जो रोमानो को सोमालिया ले गये।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सेल्विया ने बताया कि 18 महीनों तक बंधक बने रहने के दौरान उन्हें किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं किया गया और न ही उनका यौन उत्पीड़न हुआ अलबत्ता गृहयुद्ध की वजह से यह समय उन्होंने काफी परेशानी में गुज़ारा।
वह अफ्रीका की राहत संस्था “ अफ्रीका मीली “ में काम करती थीं और 20 नवंबर सन 2018 में पूर्वी केन्या के मालेंदी नगर से 80 किमी दूर एक गांव से उनका अपहरण हो गया था। 24 वर्षीय रोमानो की आप बीती इटली के मीडिया में छायी रही।
सोमालिया में चरमपंथियों के चंगुल से रिहा होने के बाद जब वह इटली पहुंचीं तो वहां उनका किसी राष्ट्रीय नायक के तौर पर स्वागत किया गया। सेल्विया रोमानो को कहना है कि मैंने अपनी इच्छा और मर्ज़ी से इस्लाम स्वीकार किया है और अब मेरा नाम “ आएशा “ है।
इस पूरी यात्रा के बारे में रोमानो बताती हैं कि केन्या में अपहरण के बाद सोमालिया तक पहुंचने में उन्हें कम से कम एक महीने का समय लगा, आरंभ में उनके साथ दो साइकिलें थीं फिर एक खराब हो गयी और हमने काफी रास्ता पैदल चल कर तय किया और नदी को भी पार किया, मेरे साथ 5- 6 पुरुष रहते थे और हम 8-9 घंटे लगातार चलते थे।
सोमालिया पहुंचने के बाद अपहरण कर्ताओं ने उन्हें एक छोटे कमरे में बंद कर दिया जहां उन्हें बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा। उनका कहना है कि मैं पूरी तरह से निराश हो चुकी थी, हमेशा रोती रहती थी। पहला महीना भयानक था, उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया कि वह मुझे परेशान नही करेंगे और मेरे साथ अच्छा व्यवहार करेंगे। मैंने उनसे डायरी मांगी और फिर मुझे पता चल गया कि वह लोग मेरी मदद करेंगे।
सेल्विया रोमानो बताती हैं कि मैं कमरे में अकेली रहती थी, ज़मीन पर या फिर घास फूस पर सो जाती लेकिन मुझे किसी ने हाथ तक नहीं लगाया और न ही मेरे साथ मार-पीट की गयी।
रोमानो के अपहरण के बाद इटली में यह खबर आयी थी कि उनका ज़बरदस्ती किसी के साथ विवाह कर दिया गया है और वह गर्भवती हैं। इस बारे में पूछे जाने पर रोमानो ने बताया कि यह अफवाह हैं और इस तरह की कोई घटना नहीं हुई थी।
सोमालिया में गृहयुद्ध की वजह से अपहरणकर्ता बार बार अपनी जगह बदलते थे और इस दौरान वह इटली को बार बार रोमानो का वीडियो भी भेजते थे ताकि वह यकीन दिलाया जा सके कि रोमानो जीवित हैं। तीन वीडियो क्लिप तुर्की की मध्यस्थता से इटली सरकार के साथ जारी वार्ता के दौरान भेजे गये थे।
इन वार्ताओं के परिणाम में गत 8 मई को सेल्विया रोमानो को 20 से 40 लाख यूरो की फिरौती अदा करने के बाद रिहा किया गया। इटली सरकार ने इस विषय पर चुप्पी साध रखी है लेकिन सेल्विया का कहना है कि उन्होंने फिरौती के बारे में कुछ नहीं सुना लेकिन अपहरणकर्ताओं की बातों से उनकी समझ में यह आ गया था कि उन्हें पैसे चाहिएं।
उन्होंने बताया कि किसी ने मुझे किसी भी काम पर मजबूर नहीं किया, अपहरणकर्ता मुझे खाना देते थे और जब भी कमरे में आते उनका चेहरा पूरी तरह से ढंका हुआ होता था, वह किसी अनजानी भाषा में बात करते थे, बस उनमें से एक था जिसे थोड़ी बहुत अग्रेज़ी आती थी, मैंने उससे किताबें मांगी और फिर एक दिन कुरआन मांग लिया।
इटली के समाचार पत्र कूरेयरी डेला ने लिखा है कि कुरआन मिलते ही सेल्विया रोमानो का इस्लाम की ओर सफर शुरु हो गया। वह कहती हैं कि मुझे हमेशा कमरों में बंद रखा जाता, तो मैंने खूब पढ़ा और खूब लिखा। मैं किसी गांव में थी, दिन में कई बार अज़ान की आवाज़ सुनायी देती थी। फिर मैं नमाज़ पढ़ने लगी और कुरआन तो पहले से ही पढ़ती थी। मैंने बहुत सोच विचार किया और अंत में इस नतीजे पर पहुंची कि इस्लाम ही मेरा अंतिम फैसला है।
इटली में इतनी गर्मजोशी उनका स्वागत किया गया किंतु उनके इस्लाम स्वीकार करने की खबर पर वहां निराशा फैल गयी। समाचार पत्र ने लिखा है कि भले ही रोमानो कह रही हैं कि उन्होंने अपनी इच्छा से इस्लाम स्वीकार किया है लेकिन अब यह आने वाला समय ही बताएगा कि ज़बरस्ती मुसलमान बनी हैं या अपनी इच्छा से।