2002 के गुजरात दंगो में पीएम मोदी को क्लीनचिट: ज़किया जाफरी की याचिका पर सुनवाई फिर टली
नई दिल्ली। वर्ष 2002 में गुजरात हुए सांप्रदायिक दंगो में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एसआईटी द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली ज़किया जाफरी की याचिका पर सुनवाई एक बार फिर टल गई है।
गुजरात दंगे के दौरान उग्र भीड़ का शिकार बने कांग्रेस के दिवंगत सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई दो हफ्तों के लिए टालते हुए दो हफ्ते बाद सूचीबद्ध करने की बात कही है।
सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि मामले को दो हफ्ते बाद सूचीबद्ध किया जाएगा क्योंकि याचिकाकर्ता ने एक पत्र लिखकर मामले को स्थगित करने का आग्रह किया है।
इससे पहले 16 मार्च को ज़किया जाफरी की याचिका को सुनवाई के लिए सुप्रीमकोर्ट ने 13 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया था और कहा था कि वह सुनवाई स्थगित करने के लिए और आग्रहों को स्वीकार नहीं करेगा।
वहीँ इस मामले में शीर्ष अदालत ने पिछले साल फरवरी में मामले को सुनवाई के लिए 14 अप्रैल 2020 की तारीख तय करते हुए कहा था कि मामला कई बार स्थगित हो चुका है और इसे किसी दिन तो सुना जाएगा। ज़किया जाफरी के वकील ने शीर्ष अदालत से कहा था कि याचिका पर एक नोटिस जारी करने की जरूरत है क्योंकि यह 27 फरवरी 2002 से मई 2002 तक कथित ‘बड़े षडयंत्र’ से संबंधित हैं।
गौरतलब है कि 28 फरवरी, 2002 को गुजरात में भड़के सांप्रदायिक दंगो के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में 68 लोग मारे गए थे। दंगों में मारे गए इन लोगों में पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे।
दिल दहला देने वाली इस घटना के करीब 10 साल बाद 8 फरवरी, 2012 को एसआईटी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को क्लीन चिट देते हुए ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल की थी।
इस मामले में एसआईटी द्वारा दाखिल की गई क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया था कि जांच एजेंसी को आरोपियों के खिलाफ अभियोग चलाने योग्य कोई सबूत नहीं मिले। इस मामले में ज़किया जाफरी ने एसआईटी के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने के गुजरात हाई कोर्ट के पांच अक्टूबर, 2017 के आदेश को 2018 में उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।