गुलाम नबी आजाद के खिलाफ हुए राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत;

गुलाम नबी आजाद के खिलाफ हुए राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत;

 नई दिल्ली: राजीव-संजय गांधी के युग में मिले हाथ, अब राहुल युग में छूटे, कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को 5 पजो का त्यागपत्र लिखकर पूर्व कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद पार्टी से अलग हो गए। इस पूरे सियासी मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी के पुराने साथी से खूब नाराज़ हुए। इतना ही नहीं उन्होंने गुलाम नबी को संजय गांधी का ‘चापलूस’ बता दिया था। हालांकि, अगर कांग्रेस पार्टी का इतिहास देखें, तो दोनों नेताओं का सफर लगभग एक जैसा रहा है। वहीं, दूसरी ओर इसकी तुलना मौजूदा हाल से की जाए तो नजर आता है कि संजय और राजीव गांधी के समय में दो नेता मिले और राहुल गांधी के दौर में राहें अलग हो गईं।

राजनीतिक कैरियर की शुरुआत

इन दोनों नेताओं ने अपने राजनितिक सफर की शुरुआत 1970 में छात्र नेता के तौर पर की थी। इसके बाद में दोनों उपमंत्री, केंद्रीय मंत्री और अपने-अपने राज्यों में मुख्यमंत्री भी बने। कहा जाता है कि एक ओर जहां गुलाम नबी को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी का सहयोग मिला। तो वहीं, अशोक गहलोत ने भी संजय के बड़े भाई राजीव का भरोसा हासिल कर लिया था। 70 के दशक तक संजय गांधी को पूर्व पीएम का सियासी उत्तराधिकारी माना जाता था और तब तक राजीव गांधी का राजनीति में आना भी नहीं हुआ था।

कांग्रेस से जुड़ने की पूरी कहानी

गुलाम नबी आजाद कुछ युवा नेताओं अंबिका सोनी और कमल नाथ के साथ संजय गांधी के बहुत करीबियों में शामिल हो गए। वर्ष 1975 से 77 के बीच वह जम्मू और कश्मीर युवा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे और फिर 1977-80 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी यानी AICC के महासचिव भी रहे। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, सन 1980 में संजय गांधी अपनी मां इंदिरा के साथ आजाद की शादी समारोह में भी शामिल हुए थे। टीक उन्हीं दिनों आजाद यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और महाराष्ट्र की वाशिम सीट से लोकसभा का चुनाव भी जीते।

हालांकि, इस दौरान अशोक गहलोत का कद भी लगातार बढ़ता रहा। उन्हें सन 1974 में राजस्थान की NSUI इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था । वहीं, वर्ष 1980 में वह भी राजस्थान के जोधपुर सीट से सांसद बने। साल 1980 से 1984 के बीच आजाद और गहलोत दोनों ही नेता कांग्रेस की सरकारों में अलग-अलग समय पर उपमंत्री रहे। जून 1980 में प्लेन क्रैश हो जाने से संजय गांधी का निधन हो गया था और तब राजीव गांधी की राजनीति में एंट्री हुई।

एक ओर जहां अशोक गहलोत 34 साल की उम्र में राजस्थान कांग्रेस के सबसे युवा अध्यक्ष बने। तो वहीं, दूसरी तरफ आजाद “वाशिम” से 2 बार सांसद रहने के बाद राज्यसभा गए और केंद्रीय मंत्री भी रहे। वर्ष 2005 में वह जम्मू- कश्मीर के मुख्यमंत्री भी बने। उन्होंने अपना ज्यादातर सियासी करियर दिल्ली में बनाया। जबकि, गहलोत राजस्थान में सियासत की पिच पर डटे रहे। 47 वर्ष की आयु में उन्हें राजस्थान का पहली बार सीएम बनाया गया और इसके बाद उन्होंने 2008 से 2013 एवम साल 2018 में भी राज्य की कमान संभाली।

अब अलग हो गई राहें

वर्तमान में, अशोक गहलोत लगातार गांधी परिवार के साथ अपनी वफादारी का सबूत दे रहे हैं, लेकिन गुलाम नबी आजाद बीते कुछ वर्षों से पार्टी से नाराज चल रहे थे। वर्ष 2020 में उन्होंने पार्टी अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर बदलाव की मांग भी रख दी थी। वहीं, साल 2022 में लिखे त्यागपत्र में भी उन्होंने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा और पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

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TeamDigital