गहराई से: देशभर में विरोध और सस्पेंस के बीच आज से लागू हुआ नागरिकता कानून

गहराई से: देशभर में विरोध और सस्पेंस के बीच आज से लागू हुआ नागरिकता कानून

नई दिल्ली। नागरिकता कानून को लेकर देशभर में पिछले एक महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बावजूद आज से नागरिकता कानून अमल में आ जाएगा। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को संशोधित नागरिकता कानून की अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही यह कानून पूरे देश में प्रभावी हो गया।

वहीँ नागरिकता कानून का विरोध करने के लिए आज भी देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन जारी रहे। नागरिकता कानून के विरोध में आज दिल्ली की जामा मस्जिद पर प्रदर्शन हुआ वहीँ चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता में भी बड़े विरोध मार्च निकाले गए।

हैदराबाद में आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में तिरंगा यात्रा निकाली गई। आज निकाली गई तिरंगा यात्रा को हैदराबाद में अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन माना जा रहा है। इस तिरंगा यात्रा में बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए।

वहीँ चेन्नई में कुछ मुस्लिम संगठनों ने नंदनाम एरिया में नागरिकता कानून के विरोध में विरोध मार्च का आयोजन किया। इस विरोध मार्च में हज़ारो की तादाद में लोग हाथो में तिरंगा लेकर शामिल हुए।

असम में नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ जनजागरण यात्रा कर रही कांग्रेस ने 17वे दिन कोकराझाड़ से बिलासपुर तक का सफर तय किया। इस पदयात्रा में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शामिल थे।

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में आज से तृणमूल कांग्रेस ने नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ अनिश्चितकालीन नॉन स्टॉप धरना शुरू किया है। यह धरना लगातार जारी रहेगा।

क्या है नागरिकता कानून :

नागरिकता संशोधन विधेयक 10 दिसंबर को लोकसभा और उसके एक दिन बाद राज्यसभा में पारित हुआ था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 12 दिसंबर को यह कानून बन गया। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना का शिकार हो रहे हिंदू, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और यहूदी अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।

क्यों हो रहा है विरोध:

नागरिकता संशोधित कानून में मुसलमानो को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है, वहीँ हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। विपक्ष शुरू से इसका विरोध कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि इस कानून को धर्म के आधार पर लागू नहीं किया जा सकता। यह संविधान की मूल भावनाओं के विरुद्ध है और इसमें नागरिकता देने के लिए किसी धर्म विशेष का उल्लेख नहीं किया जा सकता।

वहीँ देश का अल्पसंख्यक समुदाय भी इस कानून का विरोध कर रहा है। वे इसे एनसीआर से जोड़कर देख रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाता और वह गैर मुस्लिम है तो सरकार उसे इस कानून के तहत नागरिकता दे देगी वहीँ यदि वह मुस्लिम है तो सरकार उसे नागरिकता नहीं देगी बल्कि उसे विदेशी करार दे दिया जाएगा।

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TeamDigital