सही साबित हुआ कांग्रेस का संदेह, इस रिपोर्ट में सामने आई पॅकेज की असलियत

सही साबित हुआ कांग्रेस का संदेह, इस रिपोर्ट में सामने आई पॅकेज की असलियत

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के कारण देश में लागू किये गए लॉकडाउन के चलते चरमराती अर्थव्यवस्था को ऑक्सीजन देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा एलान किये गए 20 लाख करोड़ के पॅकेज में सरकार की जेब से लगे सिर्फ 1.5 लाख करोड़ रूपये ही लगेंगे। यह खुलासा ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज की एक रिसर्च रिपोर्ट में हुआ है।

इससे पहले रविवार को कांग्रेस ने केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज को लेकर सवाल उठाये थे। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने दावा किया था कि सरकार सिर्फ ज़ुबानी मदद कर रही है। सरकार के पॅकेज में बहुत सी चीज़ें ऐसी हैं जो पहले से ही चल रही हैं।

आनंद शर्मा ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ का पॅकेज कहा था लेकिन यह 20 लाख करोड़ का पॅकेज नहीं है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री की हालत समझी जा सकती है क्योंकि अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है और शिष्टाचार भी बनाए रखना है लेकिन रेल की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है। लोग सड़कों पर क्यों मर रहे हैं। यह सरकार सिर्फ जुबानी मदद कर रही है।

उन्होंने कहा कि जहां तक सरकार की तरफ से अनाज देने की बात है वो तो पहले से ही खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दिया जा रहा है। जब तक इन लोगों को डायरेक्ट पैसा नहीं दिया जाएगा, इनकी मदद नहीं हो सकती है।

वहीँ अब ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि “सरकार का कुल वित्तीय सपोर्ट करीब 21 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें करीब 8 लाख करोड़ रुपये का रिजर्व बैंक का सपोर्ट शामिल है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि सरकार के बजट पर इसका असर महज 1.5 लाख करोड़ रुपये का होगा जो कि जीडीपी का 0.75 फीसदी है।’

बार्कलेज के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान भारत का राजकोषीय घाटा लक्षित सकल घरेलू उत्पाद के 3.5% से बढ़कर 6% हो जाएगा। एजेंसी ने जीडीपी के 12% पर समेकित सरकारी घाटे (केंद्र और राज्य) को पहले के 8% की तुलना में आंका है, जो 25 लाख करोड़ रुपये के लगभग समग्र उधार आवश्यकता को दर्शाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि “हम मानते हैं कि सरकार वित्त वर्ष 2015-21 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के 6% के करीब राजकोषीय घाटे के साथ समाप्त हो सकती है जबकि राज्यों के लिए घाटे की सीमा में वृद्धि संशोधन के अधीन हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य अतिरिक्त घाटे के हेडरूम का उपयोग करेंगे। जीएसडीपी का 5%, आगे की 1% ऑफ-बैलेंस शीट खर्च के साथ, जो कि समेकित सरकारी घाटे को जीडीपी के 12% पर रखेगी, जो पहले 8% के सापेक्ष था। इसका मतलब है, कुल मिलाकर 25 लाख रुपये के करीब उधार की आवश्यकता।

गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में देश के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का पॅकेज दिए जाने का एलान किया था। उन्होंने कहा था कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत जीडीपी के करीब 10 फीसदी के बराबर का राहत पैकेज दिया जाएगा।

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