अर्थव्यवस्था पर चिदंरम की सलाह: गलतियां स्वीकार कर विपक्ष की सुने सरकार
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच देश की जीडीपी में आयी गिरावट को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार को सलाह दी है कि वह अपनी गलतियों को स्वीकार कर विपक्ष और देश के अर्थशास्त्रियों की सलाह सुने और उस पर काम करे।
चिदंबरम ने देश की अर्थव्यवस्था के नज़रिये से पिछले मोदी सरकार के पिछले 7 साल के कामकाज को अंधकारमय करार दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के साथ ही सरकार के ‘अकुशल एवं अक्षम आर्थिक प्रबंधन’ से हालात और बिगड़ गए।
जीडीपी में आई गिरावट को लेकर चिदंबरम ने कहा कि जिसका डर था वही हुआ। चिदंबरम ने कहा कि 2018-19 में जीडीपी 140,03,316 करोड़ थी। 2019-20 में यह 145,69,268 करोड़ रुपये थी और 2020-21 में यह घटकर 135,12,740 करोड़ रुपये हो गई है। यह देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को बताता है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘साल 2020-21 पिछले चार दशक में देश की अर्थव्यवस्था का सबसे अंधकारमय साल रहा है, चारों तिमाही के आंकड़े अर्थव्यवस्था की कहानी बयां करते हैं।’’
चिदंबरम ने कहा, ‘‘पिछले साल जब कोरोना महामारी की पहली लहर धीमी पड़ती नजर आई तो वित्त मंत्री और मुख्य आर्थिक सलाहकार अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने की बातें करने लगे थे। हमने कहा था कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन पैकेज की मजबूत मदद चाहिए।’’
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद एक लाख रुपये से नीचे चला गया है। चिदंबरम ने आरोप लगाया, ‘‘निश्चित तौर पर कोरोना महामारी का अर्थव्यवस्था पर व्यापक रूप से असर पड़ा है, लेकिन अकुशल और अक्षम आर्थिक प्रबंधन ने अर्थव्यवस्था की स्थिति को और बिगाड़ दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ कोरोना की दूसरी लहर चल रही है. इसमें पहली लहर की तुलना में संक्रमण और मौतों की संख्या की लिहाज से ज्यादा नुकसान हुआ है। अगर 2020-21 की तरह साल 2021-22 को नहीं होने देना है तो सरकार को जागना चाहिए, अपनी गलतियां स्वीकार करनी चाहिए, अपनी नीतियां बदलनी चाहिए तथा विपक्ष एवं अर्थशास्त्रियों की सलाह स्वीकार करनी चाहिए।’’
एक सवाल के जवाब में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि नोट की छपाई होनी चाहिए तो वह कर सकती है क्योंकि भारत के पास ऐसा करने का संप्रभु अधिकार है।
-एजेंसी इनपुट के साथ